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Getting Pregnant
Updated on 8 August 2023
स्क्रीनिंग टेस्ट क्या है?
जब किसी को कोई बीमारी होने का खतरा होता है, तो यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें वह बीमारी है या नहीं? यह स्क्रीनिंग टेस्ट की मदद से पता चल सकता है. स्क्रीनिंग टेस्ट का मतलब है जल्दी पता लगाना. यह आमतौर पर उन लोगों के लिए किया जाता है जिन्हें किसी विशेष बीमारी का खतरा हो. जैसे, अधिकांश महिलाएं लगभग पचास वर्ष की उम्र में कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाती हैं. यह महिला मेडिकल टेस्ट आमतौर पर कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए किया जाता है.
महिलाओं के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का महत्व
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युवावस्था से ही महिलाओं के शरीर में परिवर्तन होते रहते हैं. हर महीने मासिक धर्म चक्र से शरीर में कई बदलाव आते हैं, जैसे हार्मोन का उतार-चढ़ाव. विभिन्न कारणों से हार्मोनल सिक्रीशन में असंतुलन हो सकता है. इसलिए, यह ज़रूरी है कि इन लक्षणों पर नज़र रखी जाए और बार-बार स्क्रीनिंग टेस्ट करवाया जाए.
यहां कुछ ज़रूरी टेस्ट बताए गए हैं.
थायराइड फंक्शन टेस्ट
आपके मेटाबोलिज्म को नियंत्रित रखने के लिए थायरॉयड ग्लैंड टी4, टी3, और टीएसएच हार्मोन सीक्रेट करती है. अगर आपको हाइपोथायरायडिज्म है, ऐसी स्थिति में थायराइड हार्मोन का लेवल कम होता है, तो आपका मेटाबोलिज्म स्लो हो सकता है और आपके शरीर को प्रभावित कर सकता है. थकान, रूखी त्वचा और वजन बढ़ना कुछ ऐसे लक्षण हैं जो इससे हो सकते हैं. इसके अलावा, हाइपरथायरायडिज्म आपके दिल के असामान्य रूप से तेज़ी से धड़कने, एनज़ाइटी, वजन घटाने और नींद में परेशानी का कारण बन सकता है।
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ब्लड प्रेशर टेस्ट
जीवन में बढ़ते तनाव के साथ, अधिकांश लोगों को ब्लड प्रेशर की दिक्कत होने की संभावना है। अन्य कारकों से ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. - हार्मोनल परिवर्तन, कोलेस्ट्रॉल, अधिक वजन, गर्भावस्था, आदि. चक्कर आना, बेहोशी, डीहाइड्रेशन और अत्यधिक पसीना आने पर नज़र रखनी चाहिए। अगर ये अधिकतर होते हैं, तो ब्लड प्रेशर टेस्ट किया जाना चाहिए.
लिपिड प्रोफाइल
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लिपिड पैनल करवाना ज़रूरी है क्योंकि यह आपके कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल को जानने में मदद करता है, भले ही यह केवल महिलाओं के लिए नहीं है. आपकी धमनियां हाई कोलेस्ट्रॉल से ब्लॉक हो सकती हैं, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल ध्यान देने लायक कोई लक्षण नहीं दिखाता है, लेकिन केवल एक टेस्ट से इसका पता चल सकता है.
कैंसर टेस्ट
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, वैसे ही आपका शरीर भी बढ़ता है. हर व्यक्ति लगातार कार्सिनोमिक एजेंटों के संपर्क में आ रहा है. विश्वास नहीं हो रहा? क्या आप धूप में बाहर नहीं जाते? यूवी रेडिएशन भी प्राकृतिक रूप से कैंसरकारी होते हैं. कैंसर के बढ़ते रिस्क के साथ, उम्र बढ़ने पर बार-बार कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना ज़रूरी है.
कैंसर चेक करने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं
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विशेष रूप से ज़्यादा रिस्क वाले रोगियों के लिए कैंसर स्क्रीनिंग के लिए कुछ स्क्रीनिंग टेस्ट का कॉम्बिनेशन बताया जाता है. इसमें जेनेटिकली रूप से अतिसंवेदनशील रोगी, धूम्रपान और तंबाकू जैसे उत्तेजक पदार्थों के प्रति ज़्यादा एक्सपोज़र वाले लोग और ऐसे रोगी जिन्हें पहले कैंसर हो चुका है, शामिल हैं. कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट में सीटी स्कैन, बोन स्कैन, एमआरआई, पेट स्कैन आदि शामिल हैं.
कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट के प्रकार
यहां उन कैंसर टेस्ट की लिस्ट दी गई है जिनका इस्तेमाल ऑन्कोलॉजिस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए करते हैं.
कोलोनोस्कोपी
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पॉलीप्स के मामले में, शुरुआत में ट्यूमर का पता लगाने और उसे हटाने के लिए कोलोनोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है.
हेलिकल कम्प्यूटेड टोमोग्राफी
यह स्टैण्डर्ड टेस्ट, विशेष रूप से सक्रिय धूम्रपान करने वालों में, लंग कैंसर का पता लगाता है.
मैमोग्राफी
यह आमतौर पर महिलाओं का कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने में मदद करता है.
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पैप टेस्ट
यह कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है.
कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट की क्या ज़रुरत है?
कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसे करवाने के कुछ कारण बताए गए हैं-
• कैंसर स्क्रीनिंग कैंसर के पूरे शरीर में फैलने से पहले उसकी पहचान करके इलाज को ज़्यादा सरल और सफल बनाता है.
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• अगर कैंसर का जल्दी पता चल जाए तो सर्वाइव करने की संभावना ज़्यादा होती है.
• जल्दी पता लगाने से इलाज कम खर्चीला, केमिकल एंड लाइट इंटेंसिव होता है.
• कैंसर का प्रारंभिक स्टेज में पता लगाने से तात्पर्य है कि व्यक्ति में बीमारी की आंतरिक अभिव्यक्तियों के कारण लक्षण दिखने से पहले समस्या का पता लगाना.
अपने लोकल डॉक्टर से कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट की कीमत जानें और आज ही टेस्ट करवाएं।
निष्कर्ष
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स्क्रीनिग टेस्ट बहुत कम इनवेसिव होते हैं और शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. साल में कम से कम एक बार फुल बॉडी स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए, खासकर जब आपकी उम्र बढ़ रही हो. महिलाओं में, लगातार हार्मोनल बदलाव उन्हें ज़्यादा बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील बनाते है. इसलिए, स्क्रीनिंग टेस्ट ज़रूरी हैं
Yes
No
Written by
Priyanka Verma
Priyanka is an experienced editor & content writer with great attention to detail. Mother to an 11-year-old, she's a ski
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