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    HSG test in Hindi | आख़िर क्या होता है एचएसजी टेस्ट?

    HSG test in Hindi | आख़िर क्या होता है एचएसजी टेस्ट?

    Updated on 25 September 2023

    Medically Reviewed by

    Dr. Shruti Tanwar

    C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)

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    माँ बनने का सफ़र जितना ख़ूबसूरत होता है, उतना ही मुश्किल भी. कुछ रिसर्च की मानें तो लगभग हर 8 में से एक कपल को कंसीव करने में समस्या आती है. हालाँकि, आज के समय में ऐसे कई तरीक़े हैं, जो गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाने में मदद करते हैं. इन्हीं में से एक है एचएसजी टेस्ट. ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि एचएसजी टेस्ट क्या है? (HSG test kya hota hai in Hindi) और एचएसजी टेस्ट के साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं (HSG test ke side effects in Hindi).

    एचएसजी टेस्ट क्या है? (HSG test meaning in Hindi)

    एचएसजी टेस्ट यानी कि हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी (Hysterosalpingography) टेस्ट विशेष मेडिकल प्रोसेस है, जो महिलाओं के फैलोपियन ट्यूब की स्थिति को चेक करने के लिए किया जाता है. इस टेस्ट में गर्भाशय (Uterus) और फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes) की जाँच करने के लिए एक्स-रे का उपयोग किया जाता है. इस टेस्ट के दौरान फैलोपियन ट्यूब्स की नालिकाओं के ब्लॉकेज, टॉर्च इंफेक्‍शन, गर्भाशय के विकास और प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) की जाँच की जाती है.

    आमतौर पर इस प्रोसेस को पूरा होने में लगभग 30 मिनट का समय लगता है और यह टेस्ट रेडियोलॉजी या फर्टिलिटी क्लिनिक में किया जाता है. टेस्ट के दौरान गर्भाशय ग्रीवा (Uterine cervix) के माध्यम से गर्भाशय में एक डाई इंजेक्ट की जाती है. इस प्रोसेस के दौरान पेशेंट को कुछ डिसकंफर्ट या क्रैम्प महसूस हो सकते हैं.

    एचएसजी टेस्ट के फ़ायदे (Benefits of HSG test in Hindi)

    जो महिलाएँ गर्भधारण की कोशिश कर रही हैं, उन्हे एचएसजी स्कैन से कई तरह के फ़ायदे होते हैं. इनमें से कुछ फ़ायदे इस प्रकार हैं:

    1. फर्टिलिटी से संबंधित समस्याओं का पता लगना (Diagnosing fertility problems)

    एचएसजी टेस्ट से फर्टिलिटी से संबंधित समस्याओं; जैसे कि ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय के अनियमित आकार का पता लगाया जा सकता है. इससे समय रहते सही इलाज शुरू किया जा सकता है; जैसे कि ज़रूरत पड़ने पर लेप्रोस्कोपी की जा सकती है.

    इसे भी पढ़ें : गर्भधारण में परेशानी? ये फर्टिलिटी टेस्ट कर सकते हैं आपकी मदद!

    2. गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ना (Enhancing natural probability of pregnancy)

    एचएसजी टेस्ट की मदद से समय रहते उन समस्याओं का पता लग जाता है, जो गर्भधारण में बाधा बनते हैं. टेस्ट और सही ट्रीटमेंट की मदद से गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है. एचएसजी टेस्ट करवाने के बाद प्रेग्नेंसी के सक्सेस रेट बढ़ने की संभावना अधिक होती है.

    3. इंफेक्शन की पता लगाया जा सकता है (Diagnosis of Infection)

    एचएसजी टेस्ट की मदद से फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाले टॉर्च इंफेक्शन (Torch infection) का पता लगाया जा सकता है और समय रहते इसका इलाज किया जा सकता है.

    4. इनफर्टिलिटी की जाँच (Infertility testing)

    एचएसजी टेस्ट इनफर्टिलिटी की जाँच करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. दरअसल, इस टेस्ट की मदद से महिलाओं की प्रजनन क्षमता की जाँच की जाती है, जिसके ज़रिये संभावित समस्या का समय रहते पता लगाया जा सकता है.

    एचएसजी टेस्ट कैसे किया जाता है? (HSG test process in Hindi)

    एचएसजी टेस्ट बहुत ही आसान और ज़रूरी टेस्ट होता है. जब इस टेस्ट के लिए दिन और समय तय हो जाता है, तो ऐसे में आपके डॉक्टर पीरियड्स के पहले दिन से लेकर एचएसजी टेस्ट होने वाले दिन तक आपको सेक्स करने से मना कर सकते हैं. चलिए डिटेल में जानते हैं कि एचएसजी टेस्ट की प्रोसेस क्या होती है;

    1. एचएसजी टेस्ट से पहले महिला को नॉन-स्टेरॉयडल इंफ्लेमेटरी ड्रग्स दिया जाता है, ताकि प्रोसीजर के दौरान गर्भाशय में ऐंठन महसूस न हो. आमतौर पर एचएसजी टेस्ट से पहले खाली पेट रहने की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन डॉक्टर आपको यूरिन रोकने के लिए कह सकते हैं. यह टेस्ट एक अनुभवी रेडियोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है.

    2. टेस्ट करने के लिए पेशेंट को एक्स-रे टेबल पर लेटने के लिए कहा जाता है. इस दौरान पेशेंट को पैरों को हल्का खोलने के लिए कहा जाता है.

    3. डॉक्टर या रेडियोलॉजिस्ट पेशेंट की वेजाइना के अंदर स्पेकुलम (Speculum) डालते हैं. इस दौरान एंटीसेप्टिक से गर्भाशय ग्रीवा की सफाई की जाती है.

    4. गर्भाशय ग्रीवा के ज़रिये कैथेटर नामक पतली ट्यूब को डाला जाता है. इस स्टेज पर स्पेकुलम को बाहर निकाल लिया जाता है.

    5. कैथेटर की मदद से डॉक्टर कंट्रास्ट मटीरिअल को डालते हैं, जिससे गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब भर जाता है. एक बार डाईभर जाने के बाद मॉनीटर में एक्स-रे किसी वीडियो की तरह चलने लगता है.

    एचएसजी टेस्ट के साइड इफेक्ट्स (Side effects of HSG test in Hindi)

    अन्य मेडिकल प्रोसेस की तरह ही एचएसजी टेस्ट के भी कुछ संभावित रिस्क और साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं; जैसे कि कुछ महिलाओं को एचएसजी टेस्ट की प्रोसेस के दौरान ऐंठन या असुविधा का अनुभव हो सकता है, वहीं कुछ महिलाओं चक्कर, मिचली या कमज़ोरी महसूस हो सकती है.

    टेस्ट के दौरान इस्तेमाल की गई डाई से इंफेक्शन या एलर्जी का भी जोखिम होता है. ऐसे में जिन महिलाओं को आयोडीन से एलर्जी है, उन्हें टेस्ट से पहले अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. इसके अलावा, जो महिलाएँ गर्भवती होती हैं, या जिन्हें लगता है कि वह गर्भवती हो सकती हैं, उन्हें एचएसजी टेस्ट नहीं करवाना चाहिए.

    एचएसजी टेस्ट से जुड़े आम सवाल (FAQs related to HSG test in Hindi)

    1. क्या एचएसजी टेस्ट में दर्द होता है? (Is HSG test painful in Hindi)

    नहीं, एचएसजी (हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी) टेस्ट में दर्द नहीं होता है. हालाँकि, कुछ महिलाओं को डिसकंफर्ट और कमज़ोरी महसूस हो सकती है. ऐसे में डॉक्टर आपको आराम करने के लिए कह सकते हैं.

    2. क्या एचएसजी टेस्ट के बाद सेक्स कर सकते हैं? (After HSG test when can you have intercourse)

    डिसकंफर्ट और स्पोटिंग बंद होने के बाद कपल सेक्शुअल एक्टिविटी दोबारा कर सकते हैं. आमतौर पर इसमें कुछ दिन का समय लग सकता है.

    3. क्या एचएसजी टेस्ट के बाद प्रेग्नेंसी की संभावना होती है? (What are the chances of pregnancy after HSG test?)

    एचएसजी टेस्ट के बाद गर्भधारण की संभावनाएँ कई फैक्टर्स; जैसे कि महिला की उम्र और फर्टिलिटी से संबंधित कारण पर निर्भर करती है. हालाँकि, कुछ रिसर्च की मानें तो एचएसजी टेस्ट करने के बाद शुरुआती 6 महीनों में गर्भधारण हो सकता है.

    4. एचएसजी टेस्ट के बाद प्रेग्नेंसी के लक्षण क्या होते हैं? (What are the symptoms of pregnancy after HSG test?)

    एचएसजी प्रोसेस के बाद प्रेग्नेंसी के वहीं लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि आम प्रेग्नेंसी में होते हैं. पीरियड्स का मिस होना, मतली, ब्रेस्ट में सूजन या दर्द आदि.

    इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी के पहले हफ़्ते में किस तरह के लक्षण नज़र आते हैं?

    प्रो टिप (Pro Tip)

    गर्भधारण की कोशिश करने वाली महिलाओं को एचएसजी टेस्ट करवाने पर विचार करना चाहिए, ताकि फर्टिलिटी से संबंधित कोई समस्या होने पर, उसका समय रहते पता लगाया जा सकें.

    रेफरेंस

    1. Mayer C, Deedwania P. (2022). Hysterosalpingogram.

    2. Onwuchekwa CR, Oriji VK. (2017). Hysterosalpingographic (HSG) Pattern of Infertility in Women of Reproductive Age.

    Tags

    HSG test in English

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    Dr. Shruti Tanwar

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    Written by

    Jyoti Prajapati

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