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    TVS Test in Hindi | ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड की ज़रूरत कब पड़ती है?

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    TVS Test in Hindi | ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड की ज़रूरत कब पड़ती है?

    25 September 2023 को अपडेट किया गया

    टीवीएस या ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (TVS test in Hindi) एक इमेजिंग टेक्निक है जिसे यूटरस, ओवरीज़ और फैलोपियन ट्यूब जैसे पेल्विक ऑर्गन्स की अंदरूनी स्थिति और बारीक जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए किया जाता है. आइये टीवीएस टेस्ट (What is tvs test in Hindi) के बारे में डिटेल में जानते हैं.

    ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड क्या होता है? (TVS test for female in Hindi)

    टीवीएस यानी ट्रांसवेजाइनल (TVS test for female in Hindi) अल्ट्रासाउंड का ही एक अन्य रूप है जिसका उपयोग आमतौर पर गाइनेकोलोजिकल डिजीज अथवा डिसॉर्डर जैसे फाइब्रॉएड या अल्सर के अलावा प्रेग्नेंसी न हो पाने पर की जाने वाली जाँचों में किया जाता है. सामान्य अल्ट्रासाउंड पेट के बाहर से किया जाता है जबकि इसमें एक ख़ास तौर पर डिज़ाइन किए गए इन्स्ट्रुमेंट को महिला की वेजाइना में डाला जाता है. यह एक सुरक्षित टेक्निक और मिनिमली इंवेसिव प्रक्रिया है जिसमें किसी भी तरह का दर्द या असुविधा नहीं होती है.

    टीवीएस अल्ट्रासाउंड क्यों किया जाता है? (Why is TVS ultrasound done in Hindi)

    टीवीएस के द्वारा यूटरस, ओवरी और अन्य पेल्विक स्ट्रक्चर के बेहद क़रीबी और स्पष्ट इमेज मिलते हैं, जिससे ओवेरियन सिस्ट्स और फाइब्रॉएड जैसी ग्रोथ का पता लगाने के अलावा यूटरस के ऑब्सर्वेशन में भी सहायता मिलती है. आइये जानते हैं, डॉक्टर्स और किन-किन स्थितियों में इस टेस्ट (टीवीएस अल्ट्रासाउंड क्यों करते हैं?) का प्रयोग करते हैं.

    1. अर्ली प्रेग्नेंसी का पता लगाने के लिए (Early Pregnancy Evaluation)

    टीवीएस अर्ली प्रेग्नेंसी का पता लगाने और उसकी प्रोग्रेस चेक करने की एक आसान और विश्वसनीय टेक्निक है क्योंकि इससे पेल्विक एरिया के डिटेल्ड इमेज मिल जाती हैं. इससे यूटरीन लाइनिंग और एम्ब्रियो का पता लगाने के अलावा किसी भी तरह की कोई असामान्यता होने पर सही ट्रीटमेंट और उचित एक्शन लेने में मदद मिलती है.

    2. फर्टिलिटी से संबंधित समस्याओं का पता लगाने के लिए (Fertility Evaluation)

    टीवीएस से फ़ीमेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम की डिटेल्ड इमेजिंग कर सकते हैं जिससे इंफर्टिलिटी का कारण पता करने और सही समाधान किया जा सके. पेल्विस में काफ़ी अंदर तक जब एक छोटी अल्ट्रासाउंड मशीन जाती है तो उससे यूटरस, ओवरीज़ और फैलोपियन ट्यूब को एकदम क़रीब से देखकर फॉलिकल अल्सर, गर्भाशय की असामान्यताएं और यूटरीन लाइनिंग की मोटाई जैसे कारणों को चेक किया जा सकता है.

    इसे भी पढ़ें : गर्भधारण में परेशानी? ये फर्टिलिटी टेस्ट कर सकते हैं आपकी मदद!

    3. ओव्यूलेशन मॉनिटरिंग के लिए (Monitoring ovulation)

    ट्रांसवजाइनल सोनोग्राफी (What is tvs test in Hindi) से फॉलिकल्स की ग्रोथ और ओव्यूलेशन के समय को चेक करने में भी मदद मिलती है. इससे ओवरीज़ और ग्रो हो रहे फॉलिकल्स की साफ़-साफ़ इमेज मिल जाती हैं जिससे डॉक्टर्स इनके ग्रोथ पैटर्न और मैच्योरिटी को ट्रैक कर सकते हैं. साथ ही ओवुलेशन के सही समय का पता भी लग जाता है जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.

    4. असामान्य ब्लीडिंग का पता लगाने के लिए (Evaluation of Abnormal Bleeding)

    अब्नोर्मल ब्लीडिंग होने पर टीवीएस के द्वारा पूरे रिप्रोडक्टिव सिस्टम को चेक करते हुए डॉक्टर्स असामान्य ब्लीडिंग के संभावित कारण जैसे-जैसे फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, ओवेरियन सिस्ट, या अन्य स्ट्रक्चरल अबनोरमलिटीज़ का पता लगाते हैं.

    5. अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic pregnancy)

    एक्टोपिक प्रेग्नेंसी एक बहुत ही जटिल स्थिति है जब गर्भ में पल रहा बच्चा यूटरस के बजाय फ़ैलोपियन ट्यूब्स में विकसित होने लगता है और एक निश्चित पॉइंट के बाद इससे ट्यूब के फट जाने का खतरा होता है जो माँ के लिए लाइफ थ्रेटनिंग होता है. टीवीएस के माध्यम से इसका शुरुआत में ही पता लगाने में मदद मिलती है.

    6. पेल्विक दर्द होने पर (Pelvic pain)

    पेल्विक एरिया में दर्द आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट, फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस या अन्य रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स में अब्नोर्मलिटीज़ की पहचान करने में मदद मिलती है. ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड से इनका पता लगाकर पेल्विक दर्द के कारण का निदान किया जाता है.

    7. मोलर प्रेग्नेंसी (Molar pregnancy)

    मोलर प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटल टिशू की असामान्य ग्रोथ होने लगती है जिसे गेस्टेशनल ट्रोफोब्लास्टिक डिज़ीज (gestational trophoblastic disease) जैसी गंभीर जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं. टीवीएस से यूटरस के डिटेल्ड इमेज लेने के बाद अंगूर जैसे दिखने वाले (grape-like structure) स्ट्रक्चर का पता लगाने में मदद मिलती है जिससे समय पर इनका उपचार किया जा सके.

    8. प्रेग्नेंसी में बेबी दिल की धड़कन देखने के लिए (To check baby heartbeat during pregnancy)

    टीवीएस का उपयोग प्रेग्नेंसी में बच्चे के दिल की धड़कन को पूरी सटीकता और स्पष्टता के साथ चेक करने के लिए भी किया जाता है. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे की हेल्थ और ग्रोथ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है.

    टीवीएस टेस्ट की उपयोगिता (टीवीएस टेस्ट क्यों किया जाता है) जानने के बाद आइये अब जानते हैं कि इसकी प्रोसेस क्या होती है.

    ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड कैसे होता है? (TVS process in Hindi)

    टीवीएस प्रोसेस (ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड कैसे होता है) के दौरान, एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया अल्ट्रासाउंड इन्स्ट्रुमेंट धीरे से वेजाइनल केनाल (vaginal canal) में डाला जाता है जिससे हाई फ्रिक्वेन्सी साउंड वेव निकलती हैं जो पेल्विक ऑर्गन्स से टकरा कर वापस आती हैं और इस प्रक्रिया में मॉनिटर पर कुछ इमेज़ बनती हैं. इन इमेजेज़ को देखकर ऑपरेटर को अंदर के अंगों में किसी भी तरह की असामान्यता का पता चल जाता है.

    ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड की तैयारी कैसे करना चाहिए? (How do you prepare for a TVS ultrasound in Hindi)

    1. टीवीएस की प्रोसेस से पहले ब्लैडर का खाली होना ज़रूरी है.

    2. इस तरह के ढीले-ढाले आरामदायक कपड़े पहनें जिन्हें कमर से नीचे उतारना आसान हो.

    3. रिलेक्स होकर लेटें ताकि पेल्विक मसल्स लूज़ रहें और आपको इस प्रोसेस के दौरान दर्द या असुविधा न हो.

    4. अपने डॉक्टर द्वारा बताये गए तरीके़ से टीवीस से पहले फास्टिंग या डाइट संबंधी निर्देशों का पालन करें.

    5. अल्ट्रासाउंड के दौरान ओपेरेटर/ डॉक्टर के पूछने पर अपनी मेडिकल हिस्ट्री या अन्य किसी लक्षण के बारे में सभी ज़रूरी जानकारियाँ शेयर करें.

    क्या टीवीएस अल्ट्रासाउंड दर्दनाक है? (Is TVS ultrasound painful in Hindi)

    ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) आमतौर पर (क्या टीवीएस अल्ट्रासाउंड दर्दनाक है) पेनफुल नहीं होता है लेकिन कुछ महिलाओं को इस दौरान हल्की असुविधा हो सकती है. जब वेजाइना में एक छोटी, अल्ट्रासाउंड मशीन डाली जाती है जो टैम्पोन के समान प्रेशर या असुविधा पैदा कर सकती है जिसमें मिनिमम दर्द हो सकता है. लेकिन अगर आपको इस प्रोसेस में असहनीय दर्द होने लगे तो अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर को इस बारे में बताएँ.

    क्या प्रेग्नेंसी के दौरान ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड सुरक्षित होता है? (Is transvaginal ultrasound safe during pregnancy in Hindi)

    अनुभवी डॉक्टर द्वारा किए जाने पर ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) को प्रेग्नेंसी के दौरान भी सुरक्षित माना जाता है. वैसे, इसका उपयोग आमतौर पर अर्ली प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की हेल्थ और ग्रोथ को चेक करने और किसी भी संभावित जटिलता को मॉनिटर करने के लिए किया जाता है. टीवीएस की प्रोसेस को एक प्रेग्नेंट महिला आराम से सहन कर सकती है. सावधानीपूर्वक टेस्ट पर इन्फेक्शन या ब्लीडिंग जैसी दिक्कतों का जोखिम कम से कम होता है.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    अगर आपके डॉक्टर आपको ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहते हैं, तो घबराएँ नहीं. पॉजीटिव रहें और टेस्ट की पहले की जाने वाली तैयारियों का ध्यान रखें!

    रेफरेंस

    1. Kaur, A., & Kaur, A. (2011). Transvaginal ultrasonography in first trimester of pregnancy and its comparison with transabdominal ultrasonography.

    2. Nahlawi, S., & Gari, N. (2023). Sonography Transvaginal Assessment, Protocols, and Interpretation.

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    Transvaginal ultrasound in English

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