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    टमी टाइम : यह क्या है और शिशु को कौन -सी उम्र से पेट के बल लिटाना चाहिए ? 

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    टमी टाइम : यह क्या है और शिशु को कौन -सी उम्र से पेट के बल लिटाना चाहिए ? 

    12 December 2022 को अपडेट किया गया

    Medically Reviewed by

    Kusum Sabharwal

    Obstetrician & Gynecologist - MBBS| DGO

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    आपके शिशु को पेट के बल लेटना चाहे पसंद हो या नहीं, इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता. आपको उसे पेट के बल लिटाना ही होगा, क्योंकि यह शिशु के लिए बेहद ज़रूरी होता है. इससे उसके मोटर कौशल का ठीक तरीके से विकास होता है. इसके अलावा इससे उसे अपने पेट में जमा हुई अतिरिक्त हवा को भी निकालने में मदद मिलती है. आपकी जानकारी के लिए इस लेख में टमी टाइन से जुड़े उन तमाम बिंदुओ को शामिल किया गया है, जिसके बारें में आपको जानकारी होनी चाहिए.

    टमी टाइम क्या है ?

    टमी टाइम वह वक़्त होता है जब आप अपने शिशु को खेलने के लिए पेट के बल लिटाते हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के अनुसार- जब आप अपने शिशु को अस्पताल से घर ले जाती हैं, तो जितनी जल्दी हो सकें; शिशु को पेट के बल लिटाना शुरू कर दें.

    शिशु को टमी टाइम देते वक़्त ध्यान रखने योग्य बातें

    • शिशु को पेट के बल तभी लिटायें जब वह जाग रहा हो; ना कि सोते हुए.
    • हमेशा अपनी देखरेख में ही शिशु को पेट के बल लिटायें.
    • शिशु को दिन में 2 से 3 बार तीन से पाँच मिनट तक पेट के बल लिटाकर अभ्यास करवायें.
    • शिशु को नींद से जगाने के बाद या उसका डायपर बदलते वक़्त उसे कुछ वक़्त के लिए पेट के बल ज़रूर लिटायें.
    • फ़र्श पर कोई साफ़ और नर्म तौलिया या चटाई बिछाएँ और उस पर शिशु को तीन से पाँच मिनट के लिए पेट के बल लिटा दें.
    • शिशु को टमी टाइम के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ मज़ेदार गतिविधियाँ करें. उदाहरण के लिए, इसके लिए आप मच्छरदानी वाले बिस्तर या प्ले जिम का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. शिशु के ध्यान को और अधिक आकर्षित करने के लिए आप उसके चारों तरफ उसकी पसंद के रंग-बिरंगे खिलौने बिखेर सकती हैं. आरामदायक तकिए वाले बिस्तर पर आपके शिशु को खेलने के लिए ना केवल पर्याप्त स्थान मिलेगा; बल्कि वह अपने आसपास पड़े हुए खिलौनों को पकड़ने की कोशिश भी करेगा. इससे उसके हाथों, पैरों, गर्दन, पेट की माँसपेशियों की एक्सरसाइज़ भी हो जाएगी.

    टमी टाइम से होने वाले फ़ायदें

    • शिशु के सिर को चपटा होने से बचाता है.
    • शिशु की बाजुओं, कंधों, पीठ के ऊपरी हिस्से और गर्दन की माँसपेशियों को मज़बूत बनाते हुए उनका विकास करने में मदद करता है. इसके अलावा शिशु के सिर को ऊपर उठने में मदद करता है.
    • लगातार टमी टाइम के अभ्यास से शिशु को चीजों तक पहुँचने, लुढ़कने, बैठने और रेंगने में मदद मिलती है.
    • शिशु को पेट के बल लिटाने से उसे क़ॉलिक की समस्या से भी निजात मिलती है. यह शिशु के पेट में एकत्रित हवा को बाहर निकालने में मदद करता है.
    • नियमित रूप से शिशु को रोज़ाना पेट के बल अवश्य लिटायें. यह शिशु के सही विकास के लिए बेहद प्रभावशाली तरीका है.
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    Medically Reviewed by

    Kusum Sabharwal

    Obstetrician & Gynecologist - MBBS| DGO

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    Written by

    Priyanka Verma

    Priyanka is an experienced editor & content writer with great attention to detail. Mother to an 11-year-old, she's a ski

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