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    Negative Effects of Screen Time in Hindi | सेहत के साथ समझौता है ज़्यादा देर तक स्क्रीन के सामने रहना

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    Negative Effects of Screen Time in Hindi | सेहत के साथ समझौता है ज़्यादा देर तक स्क्रीन के सामने रहना

    10 August 2023 को अपडेट किया गया

    आज के इस टेक्नोलॉजी के समय में लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल जैसे गैजेट हमारी लाइफ़ का अहम हिस्सा बन चुके हैं. बच्चों की स्कूल की पढ़ाई से लेकर बड़ों के ऑफ़िस के काम तक इन गैजेट्स का इस्तेमाल हो रहा है. हालाँकि, इससे एक ओर जहाँ हमारी लाइफ़ आसान हुई है, वहीं दूसरी ओर हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ भी हो रहा है.

    बढ़ते स्क्रीन टाइम से सेहत को होने वाले नुक़सान (Screen time and your health)

    • आँखों के लिए नुक़सानदायक (Harmful to eyes) -लगातार लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल का इस्तेमाल करने से आँखें ड्राई होने लगती है. आँखों की नमी धीरे-धीरे कम होने लगती है, जिससे आँखों से संबंधित कई समस्याओं को न्योता मिलता है.

    • सिरदर्द होना (Hadache) -ज़्यादा देर तक मोबाइल, लैपटॉप या फिर कंप्यूटर चलाने से सिरदर्द की शिकायत होने लगती है. शुरुआत में यह समस्या आम लगती है, लेकिन बाद में यह माइग्रेन जैसी समस्या का रूप ले लेती है.

    • कमर दर्द (Back ache) -ज़्यादातर लोग झुकी हुई पोजीशन में लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करते हैं, जिससे कमर और रीढ की हड्डी पर असर पड़ता है. इससे जोड़ों, घुटनों, पैरों और कलाईयों में भी दर्द होने लगता है.

    • मोटापा को बढ़ावा (Induce obsity) -अक्सर काम के दौरान लोग अपने पोस्चर पर ध्यान नहीं देते और लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं. इस दौरान उठने और चलने जैसी एक्टिविटी ज़ीरो हो जाती है, जिसका नतीजा मोटापे के रूप में देखने को मिलता है.

    • कंधों में दर्द महसूस होना (Shoulder pain) -लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने के दौरान अक्सर लोग अपने कंधों को आगे की ओर झुकाने लगते हैं, जिसके चलते कंधों में दर्द होने लगता है.

    • तनाव महसूस होना (Increase stress level) -लंबे समय तक स्क्रीन के संपर्क में रहने से तनाव की स्थिति उत्पन्न होने लगती है. इतना ही नहीं, आगे चलकर इससे डिप्रेशन जैसी समस्या हो सकती है.

    • इंफर्टिलिटी का खतरा बढ़ना (Increase risk of infertility) -आजकल अधिकतर लोग गोद में रखकर लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं, जो कि बिल्कुल भी सही नहीं है. इससे फर्टिलिटी से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं. कुछ रिसर्च की मानें तो महिलाओं की तुलना में पुरुषों को लैपटॉप हीट से ज़्यादा नुक़सान हो सकता है. दरअसल इसका कारण शरीर की बनावट है. जहाँ महिलाओं के शरीर में यूटरस शरीर के अंदर होता है वहीं, पुरुषों में टेस्टिकल शरीर के बाहरी हिस्से में होता है जिससे हीट रेडिएशन ज़्यादा करीब रहती है. इसके कारण स्पर्म की क्वालिटी में कमी आती है.

    इन बातों का रखें ध्यान (Things to remember)

    • 20-20-20 फॉर्मूला अपनाएँ (Follow the 20-20-20 formula) - लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने के दौरान 20-20-20 फॉर्मूला अपनाएँ यानी कि हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए स्क्रीन पर से अपनी आँखों को हटाएँ और 20 फीट की दूरी तक देखने की कोशिश करें.

    • रिलेक्स होकर बैठें (Sit in relax position) - लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने के दौरान अपने पोस्चर पर ध्यान दें. ऐसी कुर्सी का इस्तेमाल करें, जिस पर बैठते हुए आपको कंफर्ट का एहसास होता हो; जैसे कि आप हैंडल वाली कुर्सी का इस्तेमाल कर सकते हैं.

    • डिम लाइट का प्रयोग करें (Use dim light) - मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर का इस्तेमाल करने के दौरान ध्यान रखें कि उसकी ब्राइटनेस डिम हो. ज़्यादा रोशनी से आँखों पर ज़ोर पड़ता है.

    • फॉन्ट साइज़ बड़ा रखें (Keep font size large) - 6 फॉन्ट साइज़ हमेशा बड़ा रखकर ही काम करें. इससे आपकी आँखों पर ज़ोर नहीं पड़ेगा.

    • पलकों को झपकाते रहें (Keep blinking your eyes) - अक्सर काम करने के दौरान लोग पलके झपकाना भूल जाते हैं, जिसके कारण सिरदर्द की शिकायत होने लगती है. इसलिए काम करने के दौरान पलके झपकाना न भूलें.

    • चश्मे का उपयोग करें (Use specs) - अगर आपको लंबे समय तक लैपटॉप, कंप्यूटर या मोबाइल का इस्तेमाल करना है, तो चश्मे का प्रयोग करना न भूलें. इससे आपकी आँखों पर सीधे रोशनी नहीं पड़ेगी और आँखें ड्राई नहीं होगी.

    उम्मीद है कि अब आप स्क्रीन टाइम के दौरान इन बातों का ज़रूर ध्यान रखेंगे!

    सोर्स (Source)

    Nakshine VS, Thute P, Khatib MN, Sarkar B.(2022) Increased Screen Time as a Cause of Declining Physical, Psychological Health, and Sleep Patterns: A Literary Review

    Lissak G.(2018). Adverse physiological and psychological effects of screen time on children and adolescents: Literature review and case study. Environ Res.

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    Written by

    Jyoti Prajapati

    Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more

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