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Pregnancy Journey
14 February 2024 को अपडेट किया गया
प्रेग्नेंसी के पहले 8 हफ्तों के दौरान, फीटस की ग्रोथ बड़ी तेजी से होती है और इस वजह से माँ के शरीर में कई सारे बाहरी लक्षण भी दिखाई देते हैं. हालाँकि सब महिलाओं में ये लक्षण एक जैसे न हो कर अलग-अलग हो सकते हैं. आर्टिकल्स के एक क्रमवार सिलसिले में हम आपको शुरुआत से लेकर नवें महीने तक होने वाली ग्रोथ को हफ्ते दर हफ्ते के क्रम में बताएँगे. तो इस भाग में आइये जानते हैं पहले हफ्ते से लेकर आठवें हफ्ते की गर्भावस्था के विकास और उससे जुड़े लक्षण किस तरह के होते हैं.
प्रेग्नेंसी के पहले हफ्ते की (1 week pregnancy symptoms in Hindi) शुरुआत को आम तौर पर माँ के आखिरी मासिक धर्म (एलएमपी) के पहले दिन से माना जाता है.पहले हफ्ते के आसपास ओव्यूलेशन होता है और फर्टिलाइज़ेशन भी हो सकता है. आइये जानते हैं क्या होते हैं (Pregnancy symptoms week 1 in hindi) पहले हफ्ते के लक्षण
अधिकतर महिलाओं को शुरुआती 2 से 3 हफ्तों के दौरान प्रेग्नेंसी का पता ही नहीं चलता है.
ओव्यूलेशन के दौरान योनि से हल्का सफ़ेद स्राव हो सकता है जिसमें किसी भी तरह की गंध नहीं होती है.
फर्टिलाइज़ेशन पहले हफ्ते के अंत से लेकर दूसरे हफ्ते में भी हो सकता है और इसके बाद फर्टिलाइज्ड एग फैलोपियन ट्यूब से आगे बढ़ता हुआ नीचे जाता है. यहाँ से इसकी गर्भाशय तक पहुँचने की यात्रा शुरू होती है. इस स्तर पर जो लक्षण (2 week pregnancy symptoms in Hindi) आम हैं वो इस प्रकार हैं.
इस स्टेज में फर्टिलाइज्ड एग को जाइगोट कहा जाता है.
कुछ मामलों में हल्के क्रैंप्स महसूस हो सकते हैं.
इस स्टेज में किसी भी तरह के बाहरी बदलाव देखने को नहीं मिलते हैं.
आगे इसकी यात्रा में यह ज़ाइगोट, कोशिकाओं से बनी हुई एक बॉल जैसे शेप में विभाजित हो जाता है जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं. यह फिर आगे बढ़ते हुए गर्भाशय तक पहुँचता है और उसकी भीतरी लाइनिंग जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं उसमें प्रत्यारोपित हो जाता है, यानी कि चिपक जाता है. एंडोमेट्रियम में प्रत्यारोपण की इस प्रोसेस को इंप्लांटेशन कहते हैं और यहीं से एम्ब्र्यो का विकास शुरू होता है.
इस हफ्ते में एन्ब्र्योनिक डेवलपमेंट शुरू हो जाता है.
तीसरे हफ्ते के ख़त्म होते-होते क्रेंप्स और उबकाई जैसे (3 week pregnancy symptoms in Hindi) लक्षण शुरू हो सकते हैं.
चौथे हफ्ते में ब्लास्टोसिस्ट एक एम्ब्र्यो का आकार लेना शुरू कर देता है.
इस स्टेज पर न्यूरल ट्यूब बनना शुरू हो जाती है, जो बाद में ब्रेन और रीढ़ की हड्डी बन जाएगी.
इसके अलावा प्लेसेंटा (human chorionic gonadotropin - hCG) एच सी जी हार्मोन का डेवलपमेंट और प्रोडक्शन शुरू कर देती है.
इस स्टेज का सबसे बड़ा लक्षण ये है कि (4 week pregnancy symptoms in Hindi) अब आप एक ब्लड टेस्ट के ज़रिये एचसीजी हार्मोन को डिटेक्ट करके अर्ली प्रेग्नेंसी का पता लगा सकते हैं.
प्रेग्नेंसी के पाँचवे हफ्ते में एम्ब्र्यो में हार्ट बनना शुरू हो जाता है और सर्कुलरी सिस्टम विकसित होने लगता है. अब एम्ब्र्यो की लिंब बड्स भी पनपना शुरू कर देती हैं और वह एक सही पहचानने लायक आकार ले लेता है. इस स्टेज पर माँ को कई तरह के बाहरी (5 week pregnancy symptoms in Hindi) लक्षण दिख सकते हैं जैसे
ब्रेस्ट टेंडरनेस या स्तनों का सामान्य से ज्यादा कोमल हो जाना.
बार बार पेशाब आना.
थकावट और कमज़ोरी महसूस होना.
गर्भावस्था के छठे सप्ताह में भी एचसीजी का प्रोडक्शन जारी रहता है और लगभग पहले ट्राइमेस्टर तक अपने पीक पर रहता है जो कॉर्पस ल्यूटियम (corpus luteum) को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है. कॉर्पस ल्यूटियम बॉडी में प्रोजेस्टरोन का प्रोडक्शन करती है जिससे एंड्रोमेट्रियम यानी कि गर्भाशय की अंदरूनी परत को मेंटेन रखने और उसे झड़ने को रोकने, एम्ब्र्यो के उस में ट्रांसप्लांट होने और फिर उसके आगे के विकास में लगातार मदद मिलती रहती है. छटे हफ्ते के लक्षण (6 week pregnancy symptoms in Hindi) कुछ इस तरह के होते हैं.
एम्ब्र्यो में आँखें और कान बनना शुरू हो जाता है.
दिल धड़कने लगता है और ब्लड सर्कुलेशन शुरू हो जाता है.
इस स्टेज पर कुछ महिलाओं को उबकाई और मॉर्निंग सिकनेस भी महसूस होने लगती है.
गर्भावस्था के सातवें सप्ताह में भी एचसीजी का प्रोडक्शन तेज़ी से बढ़ता रहता है. यह मेंस्ट्रुअल साइकिल को रोके रखने में हेल्प करता है साथ ही एस्टेब्लिश हो चुकी प्रेग्नेंसी को आगे बढ्ने में सपोर्ट करता है। इसके अलावा यह लगातार विकसित हो रहे एम्ब्र्यो को सपोर्ट करने के लिए भी बॉडी को तैयार करता है. इस स्टेज पर अब प्रेग्नेंसी होम किट के द्वारा गर्भावस्था का पता लगाया जा सकता है. सातवें हफ्ते में आमतौर पर दिखाई (7 week pregnancy symptoms in Hindi) देने वाले लक्षण इस तरह हैं
एम्ब्र्यो के हाथ और पैर बढ़ते रहते हैं साथ ही हाथ-पैर की उंगलियाँ और अंगूठे भी बनने लगते हैं.
चेहरे की बारीकियाँ और अधिक साफ़ दिखाई देने लगती हैं.
माँ को मॉर्निंग सिकनेस और उल्टी बनी रह सकती है.
कुछ महिलाओं में वजन बढ़ने की शुरुवात भी होने लगती है.
गर्भावस्था के आठवें सप्ताह में भी गर्भावस्था हार्मोन, एचसीजी का प्रोडक्शन उसी रफ्तार से होता रहता है और 8-11 सप्ताह के आसपास अपने चरम पर पहुँचने के बाद फिर यह धीरे-धीरे कम होने लगता है. इस स्टेज पर एम्ब्र्यो को अब भ्रूण या फीटस कहा जाने लगता है और आठवें हफ्ते में,
फीटस के अंगों का विकास जारी रहता है.
फीटस की बाहरी खतरों के प्रति सेंसिटिविटी कम हो जाती है.
हालाँकि माँ को उबकाइयाँ और मॉर्निंग सिकनेस अभी भी हो सकती है.
कुछ महिलाओं को मूड स्विंग्स जैसे लक्षण (8 week pregnancy symptoms in Hindi)भी उभरने लगते हैं.
स्वस्थ प्रेग्नेंसी के लिए पहले 8 हफ्तों के दौरान संतुलित और पौष्टिक आहार खाना एक माँ की पहली ज़िम्मेदारी है. इसके अलावा बॉडी को हाइड्रेटेड रखें और पर्याप्त आराम करें. इस दौरान भारी काम करने से बचें और अपनी देखभाल को प्रायोरिटी दें. एम्ब्र्यो के स्वस्थ विकास के लिए प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले ही, अपने डॉक्टर की सलाह से फोलिक एसिड और प्री नेटल विटामिन्स लेना शुरू कर दें. साथ ही कुछ भी असामान्य दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें.
1. Sayle, Amy & Wilcox, Allen & Weinberg, Clarice & Baird, Donna. (2002). A prospective study of the onset of symptoms of pregnancy. Journal of clinical epidemiology.
2. Jackie Anderson. (2022). Early Pregnancy Diagnosis.
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Kavita Uprety
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