Lowest price this festive season! Code: FIRST10
Updated on 6 December 2023
बेशक छोटा बेबी बोल ना पाता हो लेकिन उसकी आवाज़ और हरकतों से पाता चल जाता है कि उसे भूख लगी है या उसका पेट भरा है; जैसे कि बच्चे का रोना भी उसके भूख लगने का एक संकेत है. हालाँकि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वो अपनी भूख को बताने के लिए कई नए इशारे करने लगता है और इन सभी संकेतों को समझकर पेरेंट्स आसानी से ये अंदाज़ लगा सकते हैं कि बेबी को कब और कितनी बार दूध पिलाना है.
आइये आपको देते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनसे आप ये पता लगा सकें कि ब्रेस्टफ़ीडिंग (Is baby getting enough breast milk in Hindi) के बाद बच्चे का पेट भरा है या नहीं.
आमतौर पर महिलाएँ यही मानती हैं कि बच्चा भूख लगने पर रोता है लेकिन ज़्यादातर लोग यह नहीं जानते हैं कि बच्चा भूख के लिए रोना तब शुरू करता है जब उसकी देखभाल करने वाले उसके पहले दिए जा रहे संकेतों को नहीं समझते हैं या ध्यान नहीं देते हैं. अंत में वह रोने चिल्लाने लगता है. बच्चे भूख लगने, रोने से पहले कई प्रकार के संकेत देते हैं और यह आप पर निर्भर करता है कि आप इन संकेतों को समझ पाते हैं या नहीं. वैसे आपको जल्द ही इन संकेतों को समझना और सीख लेना चाहिए जिससे आपको अंदाज़ा हो जायेगा कि बेबी को कब और कितना फ़ीड कराना है.
अब बात करते हैं उन संकेतों की जिनके द्वारा बेबी अपने भूखे होने का संकेत देते हैं. कई बार आवाज़ निकालकर या कई बार इशारों से. आपका छोटा बेबी ब्रेस्टफ़ीडिंग के बाद भी भूखा है (how to know baby stomach is full in Hindi) यह समझने के लिए आपको इन संकेतों को समझना होगा.
रूटिंग रिफ्लेक्स एक बेसिक इंस्टिंक्ट होती है जो बच्चे को दूध पिलाना शुरू करने के लिए बोतल या आपके ब्रेस्ट को ढूँढने और पकड़ने में हेल्प करता है. जब आप बच्चे के मुँह के कोने को निप्पल से सहलाते हैं, तो वे सहज रूप से अपना सिर ब्रेस्ट की ओर घुमा लेत है. वह निप्पल को अपनी जीभ से टच करता है और फिर उसे चूसने लगते है. रूटिंग रिफ्लेक्स आपके बच्चे को यह बताने में मदद करता है कि वह भूखा है और उसे दूध चाहिए.
न्यूबोर्न चाइल्ड अपना हाथ चूसकर भी आपको यह बताने की कोशिश कर सकता है कि वह भूखा है. हर बार जब वह बोतल या निप्पल चूसता है, तो उसे दूध मिलता है. इसलिए बच्चों में चूसने की प्रवृत्ति प्राकृतिक होती है, जिससे वह यह संकेत देते हैं कि उनको भूख लगी है.
अगर बेबी अपने होंठ चूसे और आवाजें निकाले तो समझ लें कि वो भूखा हो सकता है. नवजात बच्चे होठों को अंदर-बाहर करके भी अपने भूखे होने का संकेत देते हैं. अगर आप ध्यान दें तो पाएँगे कि जब बेबी दूध पी लेगा तो वह अपने होठों को चूसना बंद कर देगा.
बच्चा अगर भूखा है और कोई उस पर ध्यान ना दे तो वह चिड़चिड़ाहट में बहुत तेज़ आवाज में रोने लगता है, क्योंकि उसे अपनी बात बताने का यही एक तरीक़ा आता है. हमेशा इस संकेत पर ध्यान दें और बच्चे के फ़ीडिंग पैटर्न के अनुसार उसे समय समय पर दूध पिलाते रहें.
ऐसी कई वजहें होती हैं जिनके कारण शुरुआत में बेबी एक बार में केवल कुछ मिनट ही दूध पीता है. शुरूआत में माँ का दूध (कोलोस्ट्रम) गाढ़ा और मलाईदार होता है, इसलिए बच्चे का पेट भरने के लिए लगभग एक चम्मच दूध ही काफ़ी होता है. बच्चा पहले कुछ दिनों में हर घंटे सिर्फ़ एक या दो मिनट के लिए ही दूध पीता है लेकिन दूध के नॉर्मल कंसिस्टेंसी के हो जाने के बाद बच्चा ज़्यादा देर तक दूध पीना शुरू कर देगा.
कभी-कभी बच्चा पहले एक या दो मिनट के लिए ब्रेस्टफ़ीड लेता है, फिर थोड़ी देर ब्रेक लेकर दोबारा थोड़ी देर के बाद फिर से पीने लगता है. इसे क्लस्टर फ़ीडिंग कहा जाता है. इन सब क्लस्टर फ़ीड को यदि आपस में जोड़ लें तो यह एक नॉर्मल फ़ीड के बराबर हो जाता है. खासकर शुरुआती हफ़्तों और महीनों में ब्रेस्टफ़ीड लेने वाले ज़्यादातर बच्चों का कोई रेगुलर फ़ीडिंग पैटर्न नहीं होता है. बच्चा अगर हेल्दी है तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं है.
पर्याप्त ब्रेस्टफ़ीड लेने वाले बच्चों का एक और लक्षण है उम्र के साथ उनका वज़न बढ़ना. हालाँकि, एक पूरी तरह से हेल्दी बच्चे का वज़न भी कभी धीरे-धीरे बढ़ता है क्योंकि हर बच्चे का एक ग्रोथ पैटर्न अलग होता है. लेकिन अगर यह समस्या लगातार बनी रहे तो डॉक्टर को दिखाएँ.
बच्चे की नींद का भी उसके पेट भरे होने से सीधा संबंध होता है. अगर आपका बच्चा ठीक से सो नहीं रहा है तो इसके कई कारणों में से एक कारण ये भी है कि उनका पेट ठीक से नहीं भर पा रहा है. ये भी हो सकता है कि बच्चे को दूध जल्दी पच जाता हो और वो भूख के कारण जाग जाता हो. कुछ बच्चों का ग्रोथ पैटर्न अलग होने के कारण उन्हें ज़्यादा फ़ीड की ज़रूरत होती है और कई बार बच्चा प्यास लगने के कारण भी जाग जाता है.
न्यूबोर्न बेबी की परवरिश और उसे दूध पिलाना माँ के लिए चौबीस घंटे की ड्यूटी है और इस दौरान आपकी और बच्चे की बॉन्डिंग बढ़ती है. बेबी के फ़ीडिंग टाइम को ईज़ी बनाने के लिए इन टिप्स को आज़माएँ.
एक सही ब्रेस्टफ़ीडिंग पोजीशन और लैचिंग टेक्निक से आपके बच्चे को ब्रेस्टफ़ीडिंग करने में आसानी होगी और वो ज़्यादा कम्फ़र्टेबल महसूस करेगा. फ़ीड कराते हुए बच्चे को हिप्स से सहारा देते हुए अपने नज़दीक लाएँ जिससे वह आपके ब्रेस्ट तक पहुँच सके और उसके पैरों को अपनी बाँह का सहारा दें ताकि वो हवा में न लटकें. इस काम को और भी आसान बनाने के लिए आप माइलो का सी शेप प्रेग्नेंसी और फ़ीडिंग पिलो भी यूज़ कर सकती हैं जिससे स्तनपान के दौरान न केवल बच्चे को सही तरह से पोज़ीशन करने में काफ़ी हेल्प मिलती है; बल्कि माँ की पीठ को भी सहारा मिलता है.
इसे भी पढ़ें : माँ और बेबी दोनों के लिए कंफर्टेबल होती हैं ये ब्रेस्टफ़ीडिंग पोजीशन
न्यूबोर्न को एक महीने का होने तक रोज़ाना 8-12 बार ब्रेस्टफ़ीड कराना चाहिए. माँ का दूध आसानी से पच जाता है, इसलिए बच्चे को जल्दी ही भूख लगने लगती है. साथ ही पहले कुछ हफ़्तों में बार-बार दूध पिलाने से माँ के दूध का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है. जब बच्चा 1-2 महीने का हो जाएगा, तो वह दिन में लगभग 7-9 बार फ़ीड लेगा. नवजात बच्चे को कभी भी 4 घंटे से अधिक बिना फ़ीडिंग के नहीं रखना चाहिए फिर चाहे दिन हो या रात.
बच्चे को पहले 6 महीनों के दौरान माँ का दूध ही देना चाहिए जो बहुत तेजी से पचता है. जब भी बच्चे को भूख लगे तो उसे तुरंत दूध पिलाना चाहिए. ऐसा करते हुए आप बच्चे पर ध्यान दें और उसके भूख लगने के संकेतों को समझने की कोशिश करें न कि उसके भूख से रोने का इंतज़ार करें. इससे आपमें बच्चे के दूध पीने के पैटर्न की समझ बढ़ेगी और आप उसकी ज़्यादा अच्छी तरह देखभाल कर पाएँगी.
बच्चे का गीला डायपर उसके स्वास्थ्य के बारे में काफ़ी इंडिकेट करता है. डायपर का कलर और स्मेल यह संकेत दे सकती है कि आपके बच्चे का इंटरनल सिस्टम कैसा चल रहा है. पैदा होने के दिन के बाद से, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, उसके गंदे डायपर की संख्या भी कुछ हद तक बढ़ जाती है. बच्चे की हेल्थ का अंदाजा लगाने के लिए उसकी पेशाब और पॉटी को मॉनिटर करना चाहिए.
अपने न्यूबोर्न बेबी के बच्चे का वज़न चेक करते रहें क्योंकि ये उसके फिजिकल डेवलपमेंट का इंडिकेटर होता है. 37- 40 हफ़्ते में पैदा होने वाले बच्चे का वज़न सामान्यतः 2.5 से 4 किलो तक होता है. इसके बाद कुछ बच्चों का वज़न एक नियमित तरीके़ से लगातार बढ़ता रहता है. वहीं दूसरों का वज़न तेजी से बढ़ता है या फिर बहुत धीरे बढ़ता है. यह उनके दूध पीने और उसे पचाने की क्षमता पर भी निर्भर करता है. बच्चे के वज़न पर नजर बनाए रखें और कुछ असामान्य दिखने पर डॉक्टर की सलाह लें.
इसे भी पढ़ें : ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए क्या करें?
अगर आपको ब्रेस्टफ़ीडिंग कराने में और बच्चे को लैचिंग में दिक्कत हो रही हो या हर बार फ़ीड कराने के दौरान दर्द होता है या फिर बच्चे का वज़न नहीं बढ़ता है या आपको ऐसा लगे कि बच्चा एवरेज से कम या ज़्यादा डायपर गंदे कर रहा है तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लें.
न्यूबोर्न बेबी लगातार बढ़ता है और उसमें तेज़ी से बदलाव आता है. इस दौरान रेगुलर चेक अप और वैक्सीनेशन के लिए एक साल पूरा होने से पहले कम से कम छह बार डॉक्टर के पास जाना सामान्य है. हर बच्चे की ग्रोथ थोड़े अलग ढंग से होती है लेकिन इस दौरान अगर आप को अपने बच्चे के डेवलपमेंट और ग्रोथ में किसी तरह की रुकावट या कमी दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से बात करें. इसके अलावा बच्चे को किसी भी तरह की ऐसी परेशानी जो एक या दो दिन से ज़्यादा समय तक खिंच जाए या जिससे बच्चा बहुत ज़्यादा परेशान हो जाए उसके लिए तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.
छोटे बच्चे को पालने और बड़ा करने के शुरुवाती कुछ वर्षों में माँ बाप को कई तरह के अनुभव होते हैं. शुरू में जहाँ उन्हें छोटी-छोटी समस्याएँ भी काफ़ी परेशान कर देती हैं वहीं समय के साथ पेरेंट्स पेनिक होने के बजाय बच्चे को संभालना सीख जाते हैं. बस थोड़ा- सा धैर्य रखें जिससे ये सफ़र आपके लिए और भी आसान हो जाएगा.
1. Hodges, E. A., Wasser, H. M., Colgan, B. K., & Bentley, M. E. (2016). Development of Feeding Cues During Infancy and Toddlerhood. MCN, the American Journal of Maternal/Child Nursing.
2. Shloim, N., Shafiq, I., Blundell-Birtill, P., & Hetherington, M. M. (2018). Infant hunger and satiety cues during the first two years of life: Developmental changes within meal signaling. Appetite.
Yes
No
Written by
Kavita Uprety
Get baby's diet chart, and growth tips
White Discharge After Ovulation: A Normal Occurrence or Cause for Concern?
Normal Ovary Size: How It Varies and What It Means for You
2024 Calendar with Holidays and Festivals of India
After-Abortion Sex: A Guide to Physical and Emotional Wellness
Cervical Cerclage: A Closer Look at the Procedure and Its Benefits
The Ultimate Guide to Panchatantra Stories for Kids
Mylo wins Forbes D2C Disruptor award
Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby massage oil | baby hair oil | stretch marks oil | baby body wash | baby powder | baby lotion | diaper rash cream | newborn diapers | teether | baby kajal | baby diapers | cloth diapers |