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Pregnancy
21 August 2023 को अपडेट किया गया
कई गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट (Breast pain during pregnancy in Hindi) में दर्द या ब्रेस्ट टेंडरनेस (breast tenderness) यानी कि ब्रेस्ट में सॉफ्टनेस फील होती है. इसे मेडिकल भाषा में मास्टाल्जिया (mastalgia) या मास्टोडीनिया (mastodynia) कहते हैं. आइये जानते हैं कि क्या ऐसा होना सामान्य है?
जी हाँ, गर्भावस्था के दौरान (Breast pain during early pregnancy in Hindi) ब्रेस्ट पेन आम है और यह कई महिलाएँ को होता है. हार्मोनल बदलाव के अलावा प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट, खुद को मिल्क प्रोडक्शन के लिए तैयार करते हैं जिससे उनमें सेंसिटिविटी और सॉफ्टनेस बढ़ जाती है. साथ ही ब्लड सर्कुलेशन बढ्ने से ब्रेस्ट के टिशू और लिगामेंट्स में खिंचाव आता है और यह भी दर्द का कारण बन सकता है. ब्रेस्ट पेन की इंटेंसिटी हर महिला में अलग हो सकती है जिसमें हल्के डिसकंफ़र्ट से लेकर तेज़ दर्द तक कुछ भी हो सकता है.
आइये प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट पेन के कारणों (Reason for breast pain during pregnancy in Hindi) को विस्तार से समझते हैं.
चलिए जानते हैं उन कारणों के बारे में जो प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट पेन का कारण बनते हैं!
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले लगभग सभी परिवर्तनों की तरह ब्रेस्ट पेन का मुख्य कारण भी हार्मोनल बदलाव है. दरअसल, गर्भावस्था के दौरान कई तरह के हार्मोनल बदलाव, ख़ासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव होते हैं. इन के कारण ब्रेस्ट टिशूज़ में परिवर्तन आता है और वह मिल्क प्रोडक्शन के लिए तैयार होते हैं. इस वजह से ब्रेस्ट टेंडरनेस और सेंसिटिवटी बढ़ जाती है.
प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट लीकेज जिसे कोलोस्ट्रम लीकेज (colostrum leakage) भी कहा जाता है, आमतौर पर थर्ड ट्राइमेस्टर में होता है. कोलोस्ट्रम गाढ़ा, पीला, पोषक तत्वों से भरपूर दूध है जो ब्रेस्ट्फीडिंग की तैयारी के दौरान ब्रेस्ट में बनता है. जब ब्रेस्ट दूध से भर जाते हैं तो मिल्क डक्ट्स और मेमरी ग्लेण्ड्स फेल हो जाती हैं और इनके कारण ब्रेस्ट में दर्द, खिंचाव, तनाव और असुविधा होने लगती है.
जैसे-जैसे ब्रेस्ट टिशू बढ़ते हैं और अंदर बन रहे दूध को होल्ड करने के लिए खुद को फैलाते हैं उससे ब्रेस्ट के लिगामेंट्स और कनेक्टिंग टिशू में खिंचाव पड़ता है और इससे भी दर्द होता है.
कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी से पहले ही ब्रेस्ट लंप (breast lumps) या सिस्ट (cyst) होती हैं. ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल बदलाव होने पर ये पहले से मौजूद गाँठे दर्द करने लगती हैं.
प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट में दर्द होने के लक्षण (Symptoms of breast pain during pregnancy in Hindi)
प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट पेन के लक्षण महिलाओं में अलग-अलग तरह से दिख सकते हैं और इनकी तीव्रता भी अलग हो सकती है; जैसे कि
छूने या दबाने पर ब्रेस्ट का बेहद कोमल महसूस होना.
निप्पल और एरोला में सेंसिटिविटी का बढ़ना.
ब्रेस्ट का नॉर्मल से अधिक भरा हुआ और भारी महसूस होना.
ब्रेस्ट टिशू में सूजन या उभार दिखाई देना.
कुछ महिलाओं को स्तनों में तेज दर्द या शूटिंग पेन (shooting pain) भी अनुभव होता है.
ऐसे काम जिनमें ब्रेस्ट हिलती हो; जैसे- चलना या व्यायाम करना आदि में असुविधा होना.
ब्रेस्ट टिशू में छोटी, दर्दभरी गांठें दिखना जो हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होती हैं.
ब्रेस्ट पेन का संबंध, गर्भावस्था के हार्मोनल परिवर्तनों से होने वाले इमोशनल मूड स्विंग्स से भी जुड़ा हुआ हो सकता है.
एक ब्रेस्ट में दूसरे की तुलना में अधिक दर्द होना.
प्रेग्नेंसी का ब्रेस्ट पेन ज़्यादातर नॉर्मल ही होता है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं होती है. लेकिन अगर दर्द गंभीर है और लगातार बना रहे तो माँ और बच्चे दोनों की सेफ़्टी के लिए और इसके पीछे छुपी किसी अंडरलाइन कंडीशन का पता लगाने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है. आप इस दर्द से राहत पाने के लिए इन तरीक़ों को आज़मा सकते हैं.
सपोर्टिव ब्रा (Supportive bras): अच्छी फिटिंग वाली, सपोर्टिव ब्रा पहनने से ब्रेस्ट मूवमेंट में सपोर्ट मिलता है. प्रेग्नेंसी में बिना अंडरवायर वाली ब्रा ट्राई करें क्योंकि वे अधिक आरामदायक होती हैं.
गर्म सेक (Warm compresses): ब्रेस्ट पर गर्म सेक करने से टिशूज़ को आराम मिलता है और दर्द में कमी आती है.
कोल्ड पैक (Cold packs): स्तनों पर कोल्ड पैक या आइस पैक का उपयोग करने से भी सूजन घटती है और दर्द कम होता है.
ब्रेस्ट मसाज़ (Gentle breast massage): ब्रेस्ट पर हल्के हाथों से सर्कुलर मूवमेंट में मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और दर्द में राहत मिलती है.
मेडिसिन (Medicine): एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) या टाइलेनॉल (Tylenol) को आमतौर पर प्रेग्नेंसी सेफ मेडिसिन माना जाता है और तेज़ दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह से इसका उपयोग किया जा सकता है.
प्रॉपर हाइड्रेशन (Proper hydration): खूब पानी पीते रहने से भी ब्रेस्ट पेन और सूजन को कम करने में मदद मिलती है.
कैफ़ीन से परहेज (Avoiding caffeine): कुछ महिलाओं को कैफ़ीन का सेवन कम करने या बंद करने से भी राहत मिलती है. आप भी इसे ट्राई कर सकते हैं.
अत्यधिक नमक के सेवन से बचें (Avoiding excessive salt intake): साथ ही ज़्यादा नमक खाने से भी बचें. फ़्लुइड रिटेन्शन कम होने से ब्रेस्ट टेंडरनेस को कम करने में मदद मिल सकती है.
सामान्य दर्द और असुविधा के अलावा नीचे दी गयी स्थितियों में आपको डॉक्टर की सलाह तुरंत लेनी चाहिए.
यदि ब्रेस्ट में गंभीर दर्द हो जो लगातार बना रहे या बढ़ता जाए.
अगर दर्द एक ब्रेस्ट में होता हो और दूसरे में नहीं.
अगर आपको कोई गांठ महसूस हो.
अगर आपको ब्रेस्ट के आकार या स्किन में बदलाव या फिर निप्पल डिस्चार्ज दिखाई दे.
यदि आपको ब्रेस्ट इन्फेक्शन के लक्षण; जैसे कि ब्रेस्ट में रेडनेस, निप्पल में सूजन और बुख़ार भी आ रहा हो.
अगर ब्रेस्ट पेन से आप को रोज़मर्रा के काम करने में दिक्कत होने लगे.
अगर आपकी फैमिली हिस्ट्री में ब्रेस्ट डिज़ीज़ रही हो और आपको भी उसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं.
प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट पेन होना नॉर्मल है फिर चाहे कम हो या ज़्यादा. लेकिन अगर दर्द के साथ ब्रेस्ट में और कोई भी बदलाव दिखाई दे; जैसे कि गाँठ, लाली या निप्पल से पस आना तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. इसके अलावा अपनी ब्रेस्ट को सेल्फ चेक करते रहें जिसे आपको किसी भी ऐसे बदलाव का पता तुरंत चल सके.
1. Hubbard TJ, Sharma A, Ferguson DJ. (2020). Breast pain: assessment, management, and referral criteria.
2. Dzoic Dominkovic M, Ivanac G, Bojanic K, et al. (2020). Exploring Association of Breast Pain, Pregnancy, and Body Mass Index with Breast Tissue Elasticity in Healthy Women: Glandular and Fat Differences.
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