Baby Care
21 August 2023 को अपडेट किया गया
बच्चे के लिए माँ के दूध को आहार के साथ-साथ औषधि भी माना गया है. यह न केवल बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाता है; बल्कि कई बीमारियों से उसका बचाव भी करता है. बच्चे के दाँत निकलने के दौरान भी ब्रेस्टफीड से कैल्शियम की पर्याप्त आपूर्ति में मदद मिलती है. लेकिन कई बार बच्चे को फॉर्मूला मिल्क या डिब्बे का दूध देना पड़ता है और ऐसे में पेरेंट्स के मन में अक्सर ये सवाल आता है कि क्या फॉर्मूला मिल्क (formula vs breast milk in Hindi) ब्रेस्टफीड के बराबर पोषण दे पाएगा. आइये जानते हैं इन दोनों में से क्या है बेहतर.
सबसे पहले ब्रेस्ट मिल्क के फ़ायदों (Benefits of Breastfeeding in Hindi) को समझते हैं.
बेस्ट न्यूट्रिशन (Ideal Nutrition): ब्रेस्ट मिल्क छोटे बच्चों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेस्ट सुपरफूड है. ये उन सभी प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर एक सम्पूर्ण आहार है जो बच्चे की ग्रोथ के लिए ज़रूरी हैं.
मज़बूत इम्यून सिस्टम (Strong Immune System): एंटीबॉडी (antibodies) इम्यून सेल्स (immune cells) और अन्य बायोएक्टिव कंपोनेंट्स (bioactive components) से भरपूर ब्रेस्ट मिल्क बच्चे को संक्रमण और बीमारियों से बचाता है.
पचाने में आसान (Easy to Digest): ब्रेस्ट मिल्क बच्चों के लिए सबसे आसानी से पचने वाला आहार होता है.
कॉग्निटिव डेवलपमेंट (Cognitive Development): माँ का दूध बच्चों के कॉग्निटिव डेवलपमेंट (cognitive development) के लिए बेस्ट माना गया है.
आइये अब बात करते हैं फार्मूला मिल्क के बारे में.
आसानी से उपलब्ध (Easily Available): फॉर्मूला दूध को आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है और कुछ दिनों तक स्टोर भी किया जा सकता है.
पोषण का आसान विकल्प (Nutritional Alternative): फॉर्मूला दूध छोटे बच्चों की पोषण संबंधी ज़रूरतों के हिसाब से बनाया जाता है और इसका कंपोजिशन लगभग ब्रेस्ट मिल्क के जैसा ही होता है.
सुविधाजनक और बनाने में आसान (Convenience and Flexibility): फॉर्मूला फीडिंग को माँ के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति करा सकता है.
मेडिकल कारण (Medical Considerations): माँ का स्वास्थ्य ख़राब होने या फिर कुछ ख़ास तरह की दवाओं का सेवन करने के कारण अगर डॉक्टर्स बच्चे को फॉर्मूला मिल्क पिलाने की सलाह देते हैं तो ऐसे में यह माँ के दूध का बेस्ट विकल्प होता है.
हालाँकि, फॉर्मूला मिल्क से बच्चे को ज़रूरी पोषण दिया जा सकता है लेकिन यह ब्रेस्ट मिल्क के बराबर इम्यूनिटी और हेल्थ बेनिफिट्स नहीं दे पाता है. स्तनपान से अच्छे पोषण के अलावा माँ और बच्चे का इमोशनल बॉन्ड भी गहरा होता है और बच्चे के आने वाले वर्षों में कई बीमारियों से बचाव होता है.
इसे भी पढ़ें- फॉर्मूला मिल्क या काऊ मिल्क: बेबी की ग्रोथ के लिए क्या है बेहतर?
फॉर्मूला दूध तैयार करना एक आसान काम है जिसके लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो करें.
फॉर्मूला मिल्क बनाने के लिए सबसे पहले, मिल्क पाउडर, साफ़ और स्टेरेलाइज्ड फीडिंग बोतल और निप्पल, उबला हुआ पानी, मात्रा नापने के लिए चम्मच और दूध बनाने के लिए एक साफ़ गिलास लें.
अब अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएँ.
गिलास में फॉर्मूला मिल्क के डिब्बे में बताई गयी मात्रा के अनुसार उबला हुआ पानी लें.
नापने वाले स्कूप की मदद से मिल्क पाउडर की सही मात्रा पानी में मिलाएँ.
अब इसे साफ़ चम्मच से तब तक घोलें जब तक कि फॉर्मूला पाउडर पूरी तरह से पानी में घुल न जाए. ध्यान रहे कि इसमें गाँठें न हों.
और बस, बच्चे के लिए फॉर्मूला मिल्क तैयार है. अपनी कलाई में इसकी कुछ बूंदें डालकर इसका टेम्परेचर चेक करें जो गुनगुना या लगभग बॉडी टेम्परेचर (लगभग 98.6°F या 37°C) का होना चाहिए.
इस तैयार फॉर्मूला मिल्क को फीडिंग बोटल में डालें और बच्चे को पिलाएँ.
दूध के बच जाने पर उसे फ्रिज में स्टोर और दोबारा गरम करके प्रयोग ना करें. हमेशा ज़रूरत के अनुसार थोड़ी मात्रा में ही दूध तैयार करें.
तो ये थे स्तनपान यानी कि ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding meaning in Hindi) और फॉर्मूला मिल्क के फ़ायदे और फॉर्मूला मिल्क को बनाने के सही स्टेप्स.
बच्चों के लिए फॉर्मूला मिल्क प्रयोग करने वाले पेरेंट्स के मन में अक्सर कई सवाल होते हैं. ऐसे ही कुछ एक सवालों के बारे में हम आगे बात करेंगे!
इस बात का सीधा जवाब यह है कि अच्छे से अच्छे ब्रांड का फॉर्मूला मिल्क भी माँ के दूध की बराबरी नहीं कर सकता. लेकिन अगर किसी भी कारणवश ब्रेस्टफीडिंग संभव ना हो पाये तो ऐसे में फॉर्मूला मिल्क बच्चे के लिए एक सही और सुरक्षित ऑप्शन है जिससे उसे ज़रूरी पोषण मिल जाता है.
हालाँकि स्तनपान बच्चे और माँ दोनों के लिए फ़ायदेमंद है, लेकिन एक नयी माँ के लिए यह चुनौतीपूर्ण और कभी-कभी दर्दभरा अनुभव भी हो सकता है; जैसे कि
बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि माँ और बच्चे दोनों को लैचिंग और फीडिंग का सही तरीक़ा सीखने में थोड़ा समय लगता है.
सीखने की इस प्रोसेस में निपल्स में दर्द, सूजन और अन्य परेशानियाँ हो सकती हैं.
ब्रेस्टफीडिंग के लिए माँ को बार-बार समय देना पड़ता है, खासकर शुरुआती महीनों में जिससे कुछ मॉम्स की नींद पूरी नहीं हो पाती और स्लीपिंग पैटर्न (sleeping pattern) भी खराब हो जाता है.
ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी कुछ अन्य शारीरिक दिक्कतें; जैसे कि ब्रेस्ट का बढ़ना (Breast engorgement), निप्पल में दर्द (nipple soreness), मिल्क डक्ट्स का बंद होना (blocked milk ducts) और मास्टिटिस(mastitis) कुछ ऐसी दिक्कतें हैं जिनसे स्तनपान कई बार बेहद दर्दभरा अनुभव बन जाता है.
वर्किंग मदर्स, मैटरनिटी लीव के बाद जब काम पर जाना चाहे तो ब्रेस्ट मिल्क को पंप के ज़रिये निकालकर बच्चे के लिए रखना पड़ता है जो एक अतिरिक्त काम है.
ब्रेस्टफीडिंग मदर्स को अपने खान-पान और ख़ास तौर पर कुछ दवाइयों के प्रति विशेष सावधानी भी रखनी पड़ती है क्योंकि कुछ पदार्थ, ब्रेस्ट मिल्क के द्वारा बच्चे तक पहुँच कर उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं.
हाँ, फॉर्मूला फीडिंग और ब्रेस्टफीडिंग को एक साथ कराया जा सकता है जिसे कॉम्बिनेशन फीडिंग (combination feeding) कहा जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब माँ बच्चे के पास न हो या किसी अन्य कारण से ब्रेस्ट फीड न दी जा सके, उस वक़्त फॉर्मूला फीड से बच्चे की भूख और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सके.
बच्चे के जन्म के बाद लगभग एक साल तक माँ का दूध ज़रूरी है जो जीवन भर उसे कई तरह के रोगों से सुरक्षा देगा. कामकाजी मॉम्स कॉम्बिनेशन फीडिंग का विकल्प अपना सकती हैं लेकिन अगर किसी भी कारणवश स्तनपान कराना संभव ना हो तो ऐसे में गाय के दूध की बजाय फॉर्मूला मिल्क सबसे अच्छा ऑप्शन है जिससे बच्चे को ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स मिल सकें.
Caroli M, Vania A, Tomaselli MA, Scotese I, et al. (2021). Breastfed and Formula-Fed Infants: Need of a Different Complementary Feeding Model
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