Diet & Nutrition
31 October 2023 को अपडेट किया गया
झींगे अगर पके हुए हैं, तो आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान इन्हें खाने में कोई परेशानी नहीं होती है। हालांकि, शेलफिश जैसे झींगा और कच्चे ऑयस्टर के साथ, किसी को मेनू से वैकल्पिक पकवान चुनना पड़ सकता है।
कच्ची शेलफिश हानिकारक बैक्टेरिया और वायरस से संक्रमित हो सकती है जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान मेटाबॉलिक और सर्कुलेटरी बदलावों की वजह से गर्भवती महिलाएं स्वाभाविक रूप से फूड पॉइजनिंग के लिए अतिसंवेदनशील होती हैं।
इसलिए, वे खुद से पूछ सकती हैं कि “क्या गर्भवस्था के दौरान मुझे झींगे खाना चाहिए?” और उनहें इसके अच्चे और बुरे नतीजों के बारे में सोचना चाहिए।
झींगे न सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि ये विटामिन और मिनरल्स से भी भरपूर होते हैं और यह मां बनने वाली महिलाओं के लिए जरूरी होते हैं। गर्भावस्था के दौरान झींगा खाने के सेहत को कई फायदे हैं।
“क्या गर्भवती होने पर आप झींगे खा सकती हैं?”- इस सवाल का जवाब कुछ स्थितियों पर निर्भर करता है। अगर गर्भवती महिला एलर्जिक नहीं है, तो गर्भावस्था के दौरान झींगा खाया जा सकता है।
गर्भावस्था में झीगें, प्रोटीन के अच्छे सोर्स साबित होते हैं। प्रोटीन से भरपूर खाने से ब्लड शुगर कंट्रोल रहती है और इससे जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा नहीं रहता। झींगे में कम कैलोरी कॉन्टेंट होता है जो सेहतमंद मांसपेशियों के लिए अच्छा होता है।
गर्भवती महिलाएं, विटामिन, क्लोरिन, जिंक, आयरन और फॉस्फोरस की सेहतमंद खुराक के लिए झींगे खा सकती हैं। गर्भवस्था में झींगा खाने का मतलब है कि बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी ज़्यादा विटामिन खाना। थायरॉइड फंक्शन से इम्यूनिटी बढ़ती है और यह होने वाले बच्चे के दिमाग के विकास के साथ-साथ उसकी हड्डियों और दातों के मजबूत बनाने के लिए जरूरी होती है।
झींगे में और भी कई अहम पोषक तत्व होते हैं जिन्हें शरीर आसानी से एबसॉर्ब कर लेता है और शरीर को सुरक्षित रखने और रिपेयर करने में इनका अहम योगदान होता है। झींगे में पाया जाने वाला सेलेनियम एक एंटीऑक्सीडेंट है जो सेल डैमेज से बचाता है और कुछ तरह के कैंसर से भी सुरक्षा देता है।
महिलाएं गर्भावस्था में झींगे खा सकती हैं, ताकि उन्हें अमीनों एसिड की खुराक मिलती है। यह शरीर में नई सेल्स जनरेट करने और डैमेज हो चुकी सेल्स को ठीक करने का काम करता है। एस्टाजेंथीन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एजिंग गुण होते हैं। यह सारे पोषक तत्व झींगे में पाए जाते हैं।
झींगे में ओमेगा 3 भारी मात्रा में होता है। यह एक फैटी एसिड होता है जो कि भ्रूण की आंखों और नसों के बीच संपर्क बनाता है।
गर्भावस्था के दौरान सेहतमंद वजन पाना और जरूरी पोषक तत्व लेना बेहद अहम होता है। गर्भावस्था में झींगे खाना सेहतमंद हो सकता है क्योंकि यह अनचाहे फैट खाए बिना भी पोषण को बढ़ावा देता है।
वैसे तो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह के सीफ़ूड से बचना चाहिए, लेकिन झींगा अगर अच्छी तरह से पकाया गया हो और संक्रमित जगह से ना लिया गया हो, तो इसे खाना सुरक्षित है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान आपके मेन्यू में शामिल किए गए किसी भी खाने को संयम से खाएं।
गर्भावस्था के दौरान झींगा खाते समय, जरूरत से ज़्यादा खाने या कुछ चीज़ों का ध्यान न रखने से आपके शरीर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। अगर आपको किसी तरह की शंका है, तो गर्भावस्था के दौरान झींगा खाने से पहले अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।
गर्भावस्था में झींगा खाने से मां बनने वाली महिला को एलर्जी की शिकायत हो सकती है। नीचे उन खतरों के बारे में बताया गया है जो गर्भावस्था में झींगा खाने से हो सकते हैः
1. कोलेस्ट्रॉलः झींगे में बड़ी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होता है। अगर गर्भवती महिला को पहले से ही हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो गर्भावस्था में झींगा खाना उसके और होने वाले बच्चे की सेहत के लिहाज से ठीक नहीं होता।
2. एलर्जीः अगर किसी महिला को उसी फूड ग्रुप के किसी खाने से एलर्जी है, तो उन्हें झींगा खाने से भी बचना चाहिए। इनकी वजह से पेट दर्द, खुजली, रैशेस और जलन हो सकती है।
3. मरक्यूरी पॉइजनिंगः पानी में होने वाले प्रदूषण और जहरीले केमिकल वाला पानी में रहने वाले झींगे खाने से सेहत को नुकसान हो सकता है। दूसरी शेलफिश जैसे की केकड़े, इस प्रदूषित पानी को ग्रहण कर सकते हैं और इन्हें खाने से यह जहरीला पानी गर्भवती महिला के शरीर में पहुंच सकता है। खाने पानी वाले झींगों में पारे की मात्रा हो सकती है जो होने वाले बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास पर बुरा असर डाल सकता है। नदी के दूषित पानी में उच्च मात्रा में क्लोरीनयुक्त बाइफिनाइल होता है और यह मां के साथ-साथ होने वाले बच्चे की सेहत के लिए स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है।
4. संक्रमणः गर्भावस्था में उबले हुए झींगे खाना बेहतर विकल्प है। अधपके या कच्चे झींगे खतरनाक हो सकते हैं और इनकी वजह से बच्चे सेहत को कई तरह के खतरे हो सकते हैं। जैसे कि फूड पॉइजनिंग, ब्लड पॉइजनिंग या दूसरे खतरनाक संक्रमण।
अच्छी बात यह है कि गर्भावस्था में झींगा खाया गया सकता है, लेकिन यह कच्चा न हो। अन्य शेलफिश जैसे स्क्वीड और स्कैम्पी से आप दूरी बनाए रखें तो बेहतर होगा। कच्ची शेलफिश में खतरनाक बैक्टेरिया और वायरस हो सकते हैं जो खाने से होने वाली बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इसलिए, गर्भावस्था में इनसे बचा जाना चाहिए।
मेटबॉलिज्म और ब्लड सर्कुलेशन में होने वाले बदलाव की वजह से फूड पॉइजनिंग हो सकती है, इसलिए यह जरूरी है कि लापरवाह होकर खाने से बचें। कच्चे झींगे जैसी कच्ची चीज़ें खाने से नीचे बताई गई चीज़ों का खतरा बढ़ जाता है,
गर्भावस्था के दौरान कोई भी शेलफिश खाने से इसका बुरा असर हो सकता है। लेकिन, गर्भावस्था में झींगा अगर संयम से खाया जाए, तो यह कोई समस्या नहीं होती। हालांकि, इससे पहले अपने डॉक्टर की सलाह भी ले लें।
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Written by
Parul Sachdeva
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