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    Pregnancy Symptoms Week By Week in Hindi | 33 से लेकर 40 वें हफ़्ते तक ऐसे होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण! (Part 5)

    Third Trimester

    Pregnancy Symptoms Week By Week in Hindi | 33 से लेकर 40 वें हफ़्ते तक ऐसे होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण! (Part 5)

    15 February 2024 को अपडेट किया गया

    प्रेग्नेंसी के आठवें महीने के दौरान, गर्भवती माँ बच्चे के जन्म के लिए तैयार होते अपने शरीर में तेज़ी से होने वाले शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों का अनुभव करती है. इस स्टेज में शिशु का शरीर लगभग पूरी तरह से विकसित हो जाता है और वह डिलीवरी के लिए सर्विक्स में नीचे की ओर घूमने की स्थिति में आने लगता है. इसके अलावा ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन भी बढ़ सकते हैं जो डिलीवरी के लिए शरीर के तैयार होने की प्रोसेस का हिस्सा है. आइये जानते हैं आठवें महीने से लेकर डिलीवरी तक होने वाने अन्य परिवर्तन क्या-क्या होते हैं.

    प्रेग्नेंसी के 33वें हफ़्ते के लक्षण (33 week pregnancy in Hindi)

    आठवें महीने के इस दूसरे हफ्ते में बच्चे की लंबाई लगभग 17 से 18 इंच और इसका वजन लगभग 1.8 से 2.3 किलोग्राम तक होता है. सभी ऑर्गन्स लगभग पूरी तरह से डेवलप हो चुके हैं और यूटरस के अंदर जगह कम हो जाने के कारण बच्चे की किक, गर्भ में घूमना और अंगड़ाई लेना बार-बार हो सकता है.

    इस स्तर पर, बच्चा बाहर आने के लिए अपनी पोज़िशन लेना शुरू कर देता है. बाहरी ("33 week pregnancy symptoms in Hindi) लक्षणों में,

    1. माँ का पेट लगातार बढ़ता रहता है, जिससे पीठ दर्द और सोने में कठिनाई होती है.

    1. जैसे-जैसे यूटरस फैलता है, इससे डायाफ्राम पर प्रेशर पड़ता है जिससे गहरी साँस लेने में दिक्कत होने लगती है.

    1. हार्मोनल बदलाव और पेट पर दबाव पड़ने के कारण सीने में जलन और अपच की समस्या हो भी सकती है.

    1. ब्रेक्सटन हिक्स तेज़ और अधिक हो सकते हैं.

    प्रेग्नेंसी के 34वें हफ़्ते के लक्षण (34 week pregnancy in Hindi)

    प्रेग्नेंसी के 34वें सप्ताह के दौरान, शिशु का वजन आम तौर पर लगभग 2.3 किलो तक बढ़ जाता है और सिर से एड़ी तक उसकी लंबाई लगभग 17.7 से 18.5 इंच होती है. माँ को महसूस होने वाले (34 week pregnancy symptoms in Hindi) बाहरी लक्षणों में

    1. पेल्विक एरिया में दबाव पड़ने से पेल्विक में दर्द और बार-बार पेशाब जाने की ज़रूरत पड़ती है.

    1. पैरों, टखनों, हाथों और यहाँ तक कि चेहरे में भी वाटर रेटेंशन होने के कारण सूजन आना.

    1. स्किन में तेज़ खिंचाव के कारण, पेट, हिप्स और ब्रेस्ट के आसपास स्ट्रेच मार्क्स डेवलप हो सकते हैं.

    1. ब्रेस्ट सामान्य से अधिक बड़े और कोमल हो जाते हैं.

    प्रेग्नेंसी के 35वें हफ़्ते के लक्षण (35 week pregnancy in Hindi)

    प्रेग्नेंसी के 35वें हफ्ते के दौरान, शिशु की ग्रोथ और विकास जारी रहता है लेकिन पिछले कुछ हफ्तों के मुक़ाबले थोड़ा धीमा हो जाता है. बच्चे का वजन लगभग 3 किलोग्राम तक होता है और बॉडी की लंबाई 45 सेंटीमीटर तक होती है. लगभग सभी मुख्य ऑर्गन्स और सिस्टम्स विकसित हो चुके हैं और ब्रेन तेजी से डेवलप होता है. न्यूरल कनेक्शन और ब्रेन स्ट्रक्चर अधिक मज़बूत हो जाते हैं. इसके अलावा फेफड़े लगभग पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं और सर्फ़ेक्टेंट का प्रोडकशन लगातार बढ़ता रहता है. शिशु की बॉडी अधिक गोल हो जाती है क्योंकि अब तक उसके शरीर में काफी वसा जमा हो गयी है. इस हफ्ते में माँ के शरीर के (35 week pregnancy symptoms in Hindi) बाहरी लक्षणों में

    1. गर्भाशय में सीमित स्थान के कारण भ्रूण की हरकतें या अंगड़ाइयाँ अधिक महसूस हो सकती हैं.

    1. बच्चे का आकार काफी बड़ा हो जाने के कारण लंग्स पर प्रेशर पड़ने के कारण साँस फूलने की समस्या हो सकती है, खासकर लेटते समय.

    1. बढ़ते यूटरस से यूरिन ब्लेडर पर प्रेशर पड़ने के कारण बार-बार पेशाब आने लगती है.

    1. हार्मोनल चेंजेज़ और बढ़ा हुआ वजन माँ के लिए थकान का कारण बन सकता है.

    1. माँ को कोलोस्ट्रम का रिसाव शुरू हो जाता है.

    1. बढ़ते यूटरस का प्रेशर ब्लड-सर्कुलेशन में बाधा डाल सकता है, जिससे नसों में सूजन और पैरों में कभी-कभी दर्द भी होता है.

    प्रेग्नेंसी के 36वें हफ़्ते के लक्षण (36 week pregnancy in Hindi)

    36 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में लगातार ग्रोथ और डेवलपमेंट से गुजरता हुआ शिशु लगभग 18 से 20 इंच का हो जाता है और उसका वज़न लगभग 5.5 से 6.5 पाउंड तक होता है. इस दौरान शिशु का वज़न लगातार बढ़ रहा है ताकि इन्सुलेशन और एनर्जी रिजर्व करने में मदद मिल सके. फेफड़े मैच्योर हो चुके हैं और ब्रेन में न्यूरॉन्स की वृद्धि और न्यूरल कनेक्शन का निर्माण भी लगातार हो रहा है. प्रेग्नेंसी के बाहरी (36 week pregnancy symptoms in Hindi) लक्षणों में

    1. बढ़ते शिशु और गर्भाशय के कारण पेट काफ़ी बढ़ जाता है, जिससे असुविधा और चलने-फिरने में कठिनाई हो सकती है.

    1. इस अतिरिक्त वजन के कारण पीठ की माँसपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे पीठ दर्द भी हो सकता है.

    1. गर्भाशय में हल्के संकुचन जो अक्सर दर्द रहित या हल्के असुविधाजनक होते हैं जिससे शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है.

    1. पेल्विक एरिया में प्रेशर पड़ने से पेल्विक पेन और ब्लेडर तथा एनस पर दबाव शामिल है.

    1. बार-बार पेशाब आना.

    प्रेग्नेंसी के 37वें हफ़्ते के लक्षण (37 week pregnancy in Hindi)

    37 हफ्ते तक शिशु लगभग पूरी तरह से विकसित हो जाता है और उसका वजन बढ़ना जारी रहता है. शिशु का वजन लगभग 3.4 किलोग्राम तक हो जाता है और लंबाई लगभग 19 से 20 इंच होती है. बच्चे की स्किन से झुर्रियाँ कम हो जाती हैं क्योंकि इसके नीचे फैट जमा हो जाता है, जो इन्सुलेशन प्रदान करता है और इससे जन्म के बाद शरीर के टेम्परेचर को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है. फेफड़े ख़ुद से साँस लेने की तैयारी कर रहे होते हैं.माँ को दिखाई देने वाले (37 week pregnancy symptoms in Hindi) बाहरी लक्षणों में

    1. बच्चा इस चरण तक हेड डाउन पोजीशन में आ जाता है.

    1. पीठ दर्द और पेल्विक एरिया में प्रेशर महसूस होना आम है.

    1. अब ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन अधिक बार और तीव्र हो जाते हैं.

    1. कुछ माँओं को एनर्जी लेवल में बढ़ोत्तरी और बच्चे के आगमन के लिए अपने घर को तैयार करने की इच्छा होती है, जिसे नेस्टिंग इंस्टिंक्ट के रूप में जाना जाता है.

    प्रेग्नेंसी के 38वें हफ़्ते के लक्षण (38 week pregnancy in Hindi)

    इस हफ्ते तक शिशु का आकार और वजन लगभग 19 से 21 इंच और वज़न लगभग 6 से 9 पाउंड जो कि 4 किलोग्राम तक हो सकता है. शिशु लगभग पूरी तरह से विकसित हो चुका है और अंतिम स्तर की मैच्योरिटी आनी अभी भी जारी है, ख़ास तौर पर फेफड़ों में. माँ को जो लक्षण महसूस होते हैं (38 week pregnancy symptoms in Hindi) उनमें मुख्य हैं,

    1. पीठ के निचले हिस्से, पेल्विक एरिया में असुविधा का अनुभव होना.

    1. लगातार और तेज़ होते ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन.

    1. हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक परेशानी और सोने में कठिनाई के कारण थकान का होना.

    1. साँस लेने में कठिनाई और माँ के लिए गहरी साँस लेना मुश्किल होना.

    1. नेस्टिंग इंस्टिंक्ट का अनुभव होना.

    प्रेग्नेंसी के 39वें हफ़्ते के लक्षण (39 week pregnancy in Hindi)

    गर्भावस्था के 39वें सप्ताह के दौरान शिशु अब जन्म की तैयारी के लिए लगभग तैयार है और उसे फुल टर्म बेबी माना जाता है. बच्चे का वज़न लगभग 3.2 किलोग्राम होता है और लंबाई 53 सेंटीमीटर तक हो सकती है. उनतीसवें हफ्ते के बाहरी (39 week pregnancy symptoms in Hindi) लक्षणों में

    1. गर्भाशय के विस्तार के कारण माँ को पीठ दर्द, पैल्विक एरिया में प्रेशर और सोने में कठिनाई और असुविधा का अनुभव होता है.

    1. ब्रेक्सटन हिक्स अधिक तीव्र हो सकते हैं.

    1. प्रेग्नेंसी के इस स्टेज पर माँ के योनि स्राव में बढ़ सकता है. यह अक्सर गाढ़ा होता है और कभी-कभी इसमें खून और म्यूकस भी दिखाई देता है. यह इस बात का संकेत है कि शरीर प्रसव के लिए तैयारी कर रहा है.

    प्रेग्नेंसी के 40वें हफ़्ते के लक्षण (40 week pregnancy in Hindi)

    प्रेग्नेंसी के 40वें हफ्ते में शिशु को फुल टर्म बेबी और डिलीवरी के लिए तैयार माना जाता है. इस स्टेज पर शिशु का वजन आम तौर पर लगभग 4.1 किलोग्राम तक हो जाता है और लंबाई लगभग 19 से 21 इंच होती है. हालाँकि, अलग-अलग शिशुओं के आकार और वजन में थोड़ा अंतर हो सकता है. 40वें हफ्ते में गर्भवती माँ को जो बाहरी (40 week pregnancy symptoms in Hindi) लक्षण दिखाई देते हैं वो इस प्रकार हैं.

    1. शिशु के पूरा आकार ले लेने पर इस हफ्ते में माँ को अपने पेट, पेल्विक एरिया और अन्य अंगों पर प्रेशर के कारण असुविधा का अनुभव होता है.

    1. पीठ और पैल्विक एरिया में दर्द के कारण सोने या बैठने के लिए आरामदायक स्थिति महसूस करने में दिक्कत आती है.

    1. ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन, डिलीवरी की तारीख के करीब आने पर और भी ज़्यादा और तीव्र हो सकते हैं. हालाँकि ये प्रसव की शुरुआत का संकेत नहीं हैं.

    1. जैसे-जैसे शरीर डिलीवरी के लिए तैयार होता है, माँ का योनि स्राव बढ़ सकता है. आमतौर पर यह स्राव गाढ़ा होता है और इसका रंग थोड़ा गुलाबी हो भी सकता है, जो सर्विक्स की लाइनिंग को सील करने वाले म्यूकस प्लग के हटने या टूटने होने का संकेत देता है.

    1. इस स्थिति में माँ को डॉक्टर द्वारा दी गयी प्रसव की तारीख के आस-पास प्रसव पीड़ा के शुरू होने के लिए तैयार रहना चाहिए.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    गर्भवती माँ के लिए इस स्टेज पर कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकते हैं इसलिए अपने डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहना चाहिए. किसी भी समय हॉस्पिटल में एडमिट होने के लिए अपनी तैयारी को पूरा रखें और यदि कोई चिंता या असामान्य लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

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    Written by

    Kavita Uprety

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