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    Baby Flat Head Syndrome:  Causes & Treatment in Hindi | बेबी फ्लैट हेड सिंड्रोम: कारण और उपचार

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    Baby Flat Head Syndrome: Causes & Treatment in Hindi | बेबी फ्लैट हेड सिंड्रोम: कारण और उपचार

    8 February 2024 को अपडेट किया गया

    बेबीज़ में फ्लैट हेड सिंड्रोम (Flat Head Syndrome in Hindi) का मतलब बच्चे के सिर का असामान्य रूप से चपटा होना है, यह स्थिति बच्चे के सिर के पिछले भाग को फ़्लैट बना सकती है और बच्चे की सिर की गोलाई बिगड़ सकती है. बहुत से पैरेंट्स इस बात से चिन्तित रहते हैं कि इससे उनके बच्चे का सिर हमेशा के लिए फ़्लैट ना रह जाए या वो देखने में आसामान्य न लगे. आपकी इस चिंता के समाधान के लिए हम लाए हैं ये आर्टिकल जिसमें फ़्लैट हेड सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है. इस लेख में पढ़ें कि बेबी में फ्लैट हेड सिंड्रोम के प्रकार, कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय क्या हैं? आइए, जानकारी शुरू करते हैं और सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ये फ़्लैट हेड सिंड्रोम क्या है?

    फ़्लैट हेड सिंड्रोम क्या है? (What is a Flat Head Syndrome in Hindi?)

    फ़्लैट हेड सिंड्रोम को प्लेगियोसेफली, डिफॉर्मेशनल प्लेजियोसेफली या पोजिशनल प्लेगियोसेफली भी कहा जाता है. छोटे बेबीज़ में यह एक बहुत ही सामान्य समस्या है जिसका समाधान आसानी से किया जा सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्लाजियोसेफली तब विकसित होती है जब सिर के एक हिस्से पर बार-बार दबाव पड़ने के कारण बेबी का मुलायम सिर एक ओर से प्लेन यानी चपटा हो जाता है. रोजाना एक ही पोजिशन में सोने से कई शिशुओं में फ़्लैट हेड सिंड्रोम की स्थिति पैदा हो सकती है. ये समस्या प्रीमैच्योर बेबी यानी समय से पहले पैदा होने वाले बेबीज़ में अधिक देखने को मिलती है क्योंकि उनके सिर की हड्डियाँ लचीली और मुलायम होती हैं.

    फ्लैट हेड सिंड्रोम के प्रकार(Types Of Flat Head Syndrome in Hindi)

    फ़्लैट हेड सिंड्रोम को दो प्रकार में बांटा जा सकता है: पोजिशनल प्लेगियोसेफली और जन्मजात प्लेगियोसेफली.

    1. पोजिशनल प्लेगियोसेफली (Positional plagiocephaly) : इसे डिफॉर्मेशनल प्लेगियोसेफली भी कहा जाता है और ये फ्लैट हेड सिंड्रोम का सबसे आम प्रकार है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह दुनिया के 50 प्रतिशत बच्चों में नजर आता है और इसका समाधान कुछ बातों का ध्यान रखकर किया जा सकता है.

    2. जन्मजात प्लेगियोसेफली (Congenital plagiocephaly) : इसे क्रानियोसिनेस्टोसिस (craniosynostosis) भी कहा जाता है और ये एक रेयर बर्थ डिफेक्ट है. इस स्थिति में बच्चे की सिर की हड्डियों के बीच मौजूद गैप ब्लॉक हो जाते हैं जिसकी वजह से बच्चे के सिर का आकार असामान्य हो सकता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, जन्मजात प्लेगियोसेफली की समस्या ढाई हजार बच्चों में से किसी एक बच्चे में नजर आती है. इसके समाधान के लिए मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है.

    फ्लैट हेड सिंड्रोम के लक्षण (What Are The Symptoms Of Flat Head Syndrome in Hindi)

    फ़्लैट हेड सिंड्रोम (Flat Head Syndrome in Hindi) के अधिकतर लक्षण बेबी को सिर को ध्यान से देखने पर पहचाने जा सकते हैं. अगर आपको अपने बेबी के सर में नीचे लिखे बदलाव नजर आते हैं तो इस स्थिति को सुधारने पर आपको ध्यान देना चाहिए.

    • एक साइड से बच्चे का सिर चपटा है जबकि दूसरी साइड का भाग सामान्य है.

    • सिर का पिछला हिस्सा अंदर की ओर दबा हुआ दिखाई दे रहा है.

    • सिर का पिछला हिस्सा पूरी तरह से प्लेन है जबकि सिर का बाकी हिस्सा एक गोलाई लिए हुए है.

    • ऊपर से देखने पर सिर चौकोर है या ऊपर की ओर को लम्बा सा नजर आ रहा है, लेकिन वह ऐसा गोल नहीं है जैसा होना चाहिए.

    • जब आप बच्चे के सिर पर धीरे से अपना हाथ फिराते हैं तो आपको सिर पीछे की ओर चपटी हड्डी महसूस होती है.

    फ्लैट हेड सिंड्रोम के कारण (What Causes Flat Head Syndrome in Hindi)

    फ़्लैट हेड सिंड्रोम के कारण मामूली भी हो सकते हैं और बहुत गंभीर कारणों से भी ये समस्या पैदा हो सकती है. आइए जानते हैं उन स्थितियों के बारे में जो फ्लैट हेड सिंड्रोम (Flat Head Syndrome) का कारण बन सकती हैं.

    • एक ही पोजिशन में लेटे रहना: जो बच्चे बिना किसी हेड सपोर्ट के लम्बे समय तक एक फ़्लैट सर्फेस पर लेटे रहते हैं या सोते हैं उन्हें पोजिशनल प्लेगियोसेफली की समस्या हो सकती है. अगर लम्बे समय तक बच्चे को स्ट्रोलर में घुमाया जाता है या उन्हें नियमित पालने में लेटाया जाता है तो भी फ़्लैट हेड सिंड्रोम की समस्या पैदा हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे की सिर के मुलायम भाग पर दबाव पड़ता है और वो अपना आकार बदलने लगता है.

    • गर्भावस्था जटिलताएँ : अगर बच्चे को माँ के गर्भ में कम स्पेस मिलता है तो उसकी सिर बनावट में कमी आ सकती है. ऐसा तब भी हो सकता है अगर गर्भावस्था के दौरान एमिनियोटिक फ्लूइड की कमी होती है. एमिनियोटिक फ्लूइड कुशन की तरह काम करता है और अगर इसकी कमी हो जाए तो बेबी के सिर पर दबाव पड़ने का खतरा बन सकता है.

    • प्री-मैच्योर डिलीवरी: समय से पहले जन्मे बच्चों का सिर अन्य बच्चों की तुलना में अधिक नरम होता है. उनकी गर्दन हिलाने की क्षमता भी सीमित होती है, जिसके कारण उनका सिर लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहता है, जिससे बच्चे का सिर चपटा हो सकता है.

    • गर्दन की मांसपेशियों की समस्या: टॉर्टिकोलिस( Muscular torticollis) नामक स्थिति के कारण गर्दन की मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं जिससे सिर की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और सोते समय भी सिर एक दिशा में झुका रहता है, जिससे फ़्लैट हेड सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है.

    • क्रानियोसिनेस्टोसिस: यह फ़्लैट हेड सिंड्रोम नहीं है बल्कि एक तरह की बीमारी है लेकिन देखने में फ्लैट हेड सिंड्रोम की तरह ही दिखाई देती है. इस बीमारी में सिर की हड्डियाँ आपस में इस तरह जुड़ जाती हैं कि सिर का आकार बदल जाता है. इससे छुटकार पाने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

    • एडवांस डिलीवरी : अगर बर्थ के समय कोई प्रॉब्लम दिखाई देती है , तो डॉक्टर कुछ एडवांस डिलीवरी टेक्नोलॉजी की मदद ले सकते हैं, जैसे वो वैक्यूम डिलीवरी या फोरसेप्स का इस्तेमाल करते हैं जिनसे बच्चे के सिर पर दबाव पड़ने से फ़्लैट हेड सिंड्रोम हो सकता है.

    इसे भी पढ़ें : बेबी के सिर को सही आकार कैसे दें?

    बेबी को फ्लैट हेड सिंड्रोम से कैसे बचाएं ?(How To Prevent Flat Head Syndrome In Babies in Hindi)

    अगर आप अपने बेबी को फ़्लैट हेड सिंड्रोम से बचाना चाहते हैं तो आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए जैसे

    1. अगर आप बच्चे को पालने में या बेड पर लम्बे समय तक लेटाए रखते हैं तो आपको उसके सिर की पोजिशन को बदलते रहना चाहिए. रात को भी अपने बच्चे को अलग-अलग करवट सुलाने की कोशिश करें. आपको प्रयास करना चाहिए की बच्चा ज्यादातर पीठ के बल सोए.

    2. बच्चे को स्ट्रोलर और पालने में जरूरत से ज्यादा देर तक न लेटाएं क्योंकि इससे उनका सिर चपटा होने का खतरा हो सकता है.

    3. उनकी मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए उन्हें पेट के बल लेटने के लिए भरपूर समय दें. इससे उन्हें अपनी गर्दन को सम्भालने की प्रैक्टिस हो जाती है और उनकी मांसपेशियाँ भी मजबूत हो जाती हैं.

    4. अगर आप भी ये सोचते हैं कि बेबी को फ्लैट हेड सिंड्रोम से कैसे बचाएं (How To Prevent Flat Head Syndrome) तो आप अपने बच्चे को सीधी स्थिति में बैठने का अभ्यास कराएं उसे अपने हाथों से सहारा देकर बैठाने का प्रयास करें, कुछ समय के लिए गोद में लेकर घुमाएं.

    5. अगर बच्चे को टॉर्टिकोलिस की समस्या होती है तो इसका तुरंत इलाज कराएं ताकि बच्चे का सिर चपटा न हो जाए.

    6. आप घर पर बच्चे के लिए सरसों के दाने भरकर तकिया बना सकती हैं. फ्लैट हेड सिंड्रोम को ठीक करने या रोकने के लिए कभी भी साधारण तकिए, गद्दे या कम्बल का उपयोग न करें. बड़े तकिए और रजाई-गद्दों से बच्चे का दम घुटने का खतरा बढ़ जाता है. बेबी के लिए सबसे अच्छा विकल्प है माइलो का Premium Head Shaping Baby Pillow ,जिसे आप अभी ऑर्डर कर सकते हैं. यह फ़्लैट हेड सिंड्रोम से सुरक्षा तो देता ही है साथ ही ये पोर्टेबल और लाईटवेट भी है और इसे 3 साल तक के बच्चे के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है.

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

    1. क्या शिशुओं में फ्लैट हेड सिंड्रोम दूर हो सकता है (Does flat head syndrome go away)?

    प्लेगियोसेफली या फ्लैट हेड सिंड्रोम के लिए अक्सर मेडिकल हेल्प की आवश्यकता नहीं होती है और जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ता है, यह अपने आप ठीक हो जाता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे बड़े होने पर अपना ज्यादा समय पेट के बल लेटने या बैठने में बिताते हैं जिससे उनके सिर पर दबाव कम हो जाता है, जिससे आकार में सुधार होने लगता है.

    2. चपटे सिर को ठीक करने में कितना समय लग सकता है (How long does it take for flat head to heal in babies)

    कुछ डॉक्टर्स फ़्लैट हेड सिंड्रोम (Flat Head Syndrome) को ठीक करने के लिए एक विशेष हेलमेट (Flat head syndrome helmet) सुझाते हैं या हेड बैंड थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं जो अक्सर पांच महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए सुझाई जाती है. इनका असर दो महीने से लेकर छह महीनों में दिखाई देने लगता है.

    3. क्या फ्लैट हेड सिंड्रोम का बच्चे के दिमाग पर असर पड़ता है (Does flat head syndrome affect the child's brain)?

    नहीं, फ़्लैट हेड सिंड्रोम का असर बच्चे के दिमाग पर नहीं पड़ता है.

    4. क्या फ्लैट हेड सिंड्रोम खतरनाक है (Is flat head syndrome dangerous)?

    फ़्लैट हेड सिंड्रोम खतरनाक नहीं है, जब तक इसके पीछे कोई अंदरूनी स्वास्थ्य संबधित कारण नहीं है. अगर आपको अपने बच्चे के लिए किसी भी तरह की चिंता है तो एक बार डॉक्टर को जरूर दिखाएं ताकि इस चिंता का समाधान हो सके और समय से बच्चे को किसी स्वास्थ्य जोखिम से सुरक्षित किया जा सके.

    निष्कर्ष (Conclusion)

    तो आपने जाना कि फ़्लैट हेड सिंड्रोम (Flat Head Syndrome) के लक्षण क्या है और कैसे इससे बचाव रखा जा सकता है. अगर आप नए-नए पैरेंट्स बने हैं तो आपको यहाँ ऐसी बहुत सारी जानकारी मिलेगी जो आपकी पैरेंटिंग जर्नी में काम आएगी. आप इस उपयोगी जानकारी को अपने दोस्तों के साथ साझा जरूर करें. छोटे बेबी नाजुक होते हैं इसलिए उनका ख़ास ध्यान रखें और अपनी स्किन केयर से लेकर डेली टिप्स तक के लिए माइलो पर अपना भरोसा कायम रखें.

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    Written by

    Auli Tyagi

    Auli is a skilled content writer with 6 years of experience in the health and lifestyle domain. Turning complex research into simple, captivating content is her specialty. She holds a master's degree in journalism and mass communication.

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