Lowest price this festive season! Code: FIRST10
Symptoms & Illnesses
29 September 2023 को अपडेट किया गया
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
लो एएमएच (low amh levels) लेवल का मतलब है ‘लो एंटी-मुलरियन हार्मोन (Anti-Müllerian Hormone -AMH)’. यह एक प्रोटीन हार्मोन होता है जो ओवरी में फॉलिकल सेल्स द्वारा बनाया जाता है. फॉलिकल सेल्स वो संरचनाएँ हैं जहाँ महिला की ओवरी में एग्स डेवलप होते हैं. ब्लड में एएमएच का लेवल चेक करके एक महिला के ओवेरियन रिजर्व (ovarian reserve) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है जिसका मतलब है उसके ओवरीज़ में बचे हुए अंडों की संख्या और क्वालिटी यानी कि उसकी गर्भधारण करने की क्षमता का पता लगाना. एएमएच का लेवल कम होना इस बात का संकेत है कि एक महिला का ओवेरियन रिजर्व कम हो गया है जो उसकी फर्टिलिटी के लिए खतरा हो सकता है. कुछ लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है.
लो एएमएच के खुद के कोई लक्षण नहीं होते हैं लेकिन इसके लेवल को ब्लड टेस्ट से चेक किया जा सकता है. हालाँकि लो एमएच होने पर कुछ अन्य सिम्टम्स (symptoms of low amh) से पहचाना भी जा सकता है; जैसे-
लो एएमएच लेवल होने का पहला खतरा है फर्टिलिटी में कमी आना. लो एमएच वाली महिलाओं को नेचुरल तरीके से गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है.
लो एएमएच वाली कुछ महिलाओं को इरेगुलर या मिस पीरियड होते हैं जिसका कारण है हार्मोनल असंतुलन.
कुछ मामलों में, लो एएमएच का संबंध पीओआई से भी हो सकता है, जिसे प्रीमैच्योरर मेनोपोज़ (premature menopause) भी कहा जाता है. इसके लक्षणों में हॉट फ्लेशेस, रात को पसीना आना, ड्राई वेजाइना और मूड स्विंग्स होते हैं.
इसे भी पढ़ें : मेनोपॉज क्या होता है और महिलाओं की सेहत से क्या होता है इसका कनेक्शन?
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में भी कभी-कभी लो एमएच देखा जाता है. इसके कारण अनियमित मासिक धर्म, मुँहासे, चेहरे और शरीर पर अतिरिक्त बाल और वज़न बढ़ना जैसे लक्षण उभरने लगते हैं.
इसे भी पढ़ें : पीसीओएस होने पर कैसे रखें ख़ुद का ख़्याल?
एएमएच लेवल आमतौर पर नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/mL) या पिकोमोल्स (picomoles) प्रति लीटर (pmol/L) में मापा जाता है. कुछ कटऑफ वैल्यू से नीचे के एएमएच लेवल को "लो" का संकेत मानते हैं जो इस प्रकार है:
लो एएमएच के लिए कई स्थितियाँ (reasons for low amh) कारण बन सकती हैं जैसे कि-
एएमएच लेवल के घट जाने का सीधा असर महिला की फर्टिलिटी पर पड़ता है और इससे उसके प्रेग्नेंट होने की पॉसिबिलिटी कम हो सकती हैं. एमएच ओवेरियन रिजर्व का एक महत्वपूर्ण मार्क है और एक महिला में घटते हुए एग्स की संख्या और क्वालिटी का संकेत देता है. लो एएमएच वाली महिलाओं में फर्टिलिटी में कमी या इंफर्टिलिटी और गर्भधारण करने में नॉर्मल से अधिक समय लगता है. इसके अलावा स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में दिक्कत आने जैसी परेशानियाँ होने लगती हैं. अंडों की संख्या के सीमित हो जाने के कारण आईवीएफ जैसी टेक्निक की मदद से प्रेग्नेंट होने की संभावना भी घट सकती है.
इसे भी पढ़ें: गर्भधारण में परेशानी? ये फर्टिलिटी टेस्ट कर सकते हैं आपकी मदद!
जी हाँ. असल में रेगुलर पीरियड्स कई तरह के हार्मोनल फ़ैक्टर्स से जुड़े होते हैं और लो एमएच होने पर भी आपके पीरियड्स (low amh but regular periods) रेगुलर बने रह सकते हैं.
लो एएमएच लेवल के डायग्नोसिस के कई तरीके हो सकते हैं; जैसे-
इसे भी पढ़ें: डॉक्टर फॉलिक्युलर स्टडी की सलाह कब और क्यों देते हैं?
लो ओवेरियन रिजर्व का ट्रीटमेंट (low amh treatment) लाइफस्टाइल करेक्शन और दवाओं से लेकर आई वी एफ और सर्जरी तक कई तरह से किया जाता है.
क्लोमीफीन साइट्रेट या लेट्रोज़ोल जैसी दवाओं से ओवरी को स्टिम्युलेट करके ओव्यूलेशन की संभावना को बढ़ाया जाता है.
आईयूआई जिसमें स्पर्म को ओव्यूलेशन के दौरान सीधे यूटरस में डाला जाता है जिसे प्रेग्नेंसी हो सके.
आईवीएफ के द्वारा प्रेग्नेंसी प्लान करना और महिला की ओवरी में एग्स की बेहद कमी होने पर डोनर एग आईवीएफ के ऑप्शन का प्रयोग करना.
एग्स की क्वालिटी को बढ़ाने के लिए कोएंजाइम Q10 या DHEA जैसे सप्लीमेंट्स का प्रयोग.
लाइफस्टाइल में बदलाव जिसमें नियमित व्यायाम, हेल्दी फूड हेबिट्स और नशे को छोड़ने से फर्टिलिटी बूस्ट करने का प्रयास करना.
एंडोमेट्रियोसिस या ओवेरियन सिस्ट होने पर सर्जरी द्वारा समाधान.
लो ओवेरियन रिजर्व एक अलार्मिंग सिचुएशन है और प्रेग्नेंसी के लिए एक पोटेंशियल थ्रेट माना जाता है लेकिन ये अकेला ऐसा फैक्टर नहीं हैं जो एक महिला की गर्भधारण करने की क्षमता को ख़त्म कर सके. याद रखें कि जहाँ लो एएमएच से जूझ रही कई महिलाएं स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करती हैं वहीं कई और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के द्वारा सामान्य रूप से माँ बनती हैं.
Shrikhande L, Shrikhande B, Shrikhande A. (2020). AMH and Its Clinical Implications. J Obstet Gynaecol India.
Tags
Yes
No
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
Written by
Kavita Uprety
Get baby's diet chart, and growth tips
Benefits of Shilajit in Hindi | सेहत का खजाना है शिलाजीत! जानें इसके टॉप फ़ायदे
Hormonal Imbalance in Men in Hindi | पुरुषों के भी होते हैं हार्मोन्स असंतुलित, जानें क्या होते हैं कारण!
Myomectomy Meaning in Hindi | मायोमेक्टोमी क्या है और कब पड़ती है इसकी ज़रूरत?
Baby Biting While Breastfeeding in Hindi | ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान बच्चा ब्रेस्ट पर काट लेता है?
Pregnancy Me Pet Tight Hona | प्रेग्नेंसी में पेट टाइट क्यों होता है?
Hysteroscopy in Hindi | हिस्टेरोस्कोपी की ज़रूरत कब पड़ती है?
Mylo wins Forbes D2C Disruptor award
Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby massage oil | baby hair oil | stretch marks oil | baby body wash | baby powder | baby lotion | diaper rash cream | newborn diapers | teether | baby kajal | baby diapers | cloth diapers |