Conception
26 August 2023 को अपडेट किया गया
27 साल की जया वर्मा फैमिली प्लानिंग के ख़्वाब बुन रही थी. जब उसके पीरियड्स मिस हुए तो वह बहुत खुश हो गई. उसके लिए यह बहुत बड़ी गुड न्यूज़ थी. लेकिन पीरियड्स मिस होने के बाद उसे हल्की ब्लीडिंग हुई, जिसे देखकर वह बहुत परेशान हो गई. उसे लग रहा था जैसे उसका ख़्वाब टूट गया. पर जया यह नहीं जानती थी कि यह पीरियड्स की ब्लीडिंग नहीं थी; बल्कि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग थी. मतलब कि उसके लिए वाकई गुड न्यूज़ थी.
जया की ही तरह ऐसी कई महिलाएँ होती हैं, जिन्हें इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स ब्लीडिंग में अंतर नहीं पता होता है. उन्हें इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है? (Implantation bleeding meaning in Hindi), इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग किस दिन होता है? (Implantation bleeding kab hoti hai in Hindi), इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कितने दिनों तक होती है (implantation bleeding kitne din hota hai in Hindi), इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के क्या लक्षण होते हैं (Implantation bleeding symptoms in Hindi), और पीरियड के कितने दिन बाद इम्प्लांटेशन होती है, आदि सवालों के जवाब नहीं पता होते हैं.
अगर आप भी उन्हीं महिलाओं में से एक हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है. इस आर्टिकल के ज़रिये हम आपको डिटेल में इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के बारे में बताएँगे.
अक्सर महिलाओं का सवाल होता है कि मुझे कैसे पता चलेगा कि यह इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है या पीरियड? इस सवाल का जवाब जानने से पहले आपको पता होना चाहिए कि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या होती है.
जब फर्टिलाइज एग गर्भाशय (Uterus) में इम्प्लांट होता है, तो वेजाइना से हल्की ब्लीडिंग होती है. इसे ही स्पॉटिंग या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है. कुछ रिसर्च की मानें तो हर चार में से एक महिला को इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है. बता दें कि इस दौरान होने वाली ब्लीडिंग पीरियड्स ब्लीडिंग की तरह हैवी नहीं होती है.
हर महिला की प्रेग्नेंसी अलग होती है. इसलिए ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सबको होने वाली इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का समय एक ही हो. इस कारण इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होने का समय भी अलग हो सकता है.
आमतौर पर इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग एग फर्टिलाइज होने के 6 से 12 दिन के बीच होती है. हालाँकि, कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में कभी भी इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हो सकती है.
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का समय हर महिला के लिए अलग हो सकता है. आमतौर पर यह ब्लीडिंग एक से 2 दिन तक हो सकती है. अगर इससे ज़्यादा दिन ब्लीडिंग होती है, तो ऐसे मामले में आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करने में देरी नहीं करना चाहिए.
अब तक आप इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के बारे में काफ़ी कुछ जान चुके हैं. चलिए अब आपको बताते हैं कि इंप्लांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स ब्लीडिंग में क्या अंतर (Difference between implantation bleeding and period in Hindi) होता है.
पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग का फ्लो अधिक होता है. जबिक इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का फ्लो कम होता है. यह ब्लीडिंग बहुत हल्की होती है, बिल्कुल स्पॉटिंग की तरह.
पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग का कलर अक्सर गहरा लाल (Dark red) या लाल (Red) होता है, जबकि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का कलर गुलाबी या भूरा हो सकता है.
पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग 3 दिन से लेकर 5 दिन तक हो सकती है. वहीं, इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग एक से दो दिन तक हो सकती है. अगर इससे ज़्यादा समय तक ब्लीडिंग होती है, तो यह एक चिंता का विषय हगो सकता है.
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होने पर महिलाओं को पेट दर्द नहीं होता है. हालाँकि, हल्की ऐंठन महसूस हो सकती है. जबकि पीरियड्स के दौरान पेट दर्द और क्रैम्प होना बहुत ही आम है.
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प्रेग्नेंसी कंफर्म करने के लिए आपके शरीर में एचसीजी (HCG) हॉर्मोन का होना ज़रूरी है. इसलिए पीरियड्स मिस होने के सात दिन बाद आप प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकते हैं. आप चाहे तो प्रेग्नेंसी किट की मदद से घर पर ही प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकते हैं. इसके अलावा, ब्लड टेस्ट के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं.
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का मतलब है प्रेग्नेंसी का कंफर्म होना. अगर इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होती है, तो इसका अर्थ होता है कि गर्भ में भ्रूण बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. चलिए आपको बताते हैं कि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के दौरान आपको किस तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं
प्रेग्नेंसी के दूसरे हफ़्ते से ही कई महिलाओं को उल्टी या मतली की समस्या होने लगती हैं. कुछ महिलाओं को तो यह समस्या प्रेग्नेंसी के पूरे नौ महीनों तक होती है. इस समस्या को मॉर्निंग सिकनेस (Morning sickness in Hindi) भी कहा जाता है.
हार्मोनल बदलाव के कारण इस दौरान स्तन (ब्रेस्ट) बहुत ही सेंसिटिव हो जाते हैं.
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प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण उन्हें बहुत थकान महसूस होने लगती है.
कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआती समय में सिरदर्द का सामना करना पड़ता है. इसका कारण भी हार्मोनल बदलाव ही होता है.
इस दौरान महिलाओं के मूड स्विंग्स भी होते हैं. वे कभी किसी बात पर अचानक खुश हो जाती हैं, तो कभी उदास. इसके अलावा, अलग-अलग तरह के फूड्स या चीज़ों को खाने की इच्छा भी होती है, जिसे क्रेविंग कहा जाता है.
इस दौरान शरीर में एचसीजी हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण पेल्विक क्षेत्र पर प्रेशर बढ़ने लगता है और बार-बार यूरिन पास करने की इच्छा महसूस होती है. आप इसे प्रेग्नेंसी का शुरुआती लक्षण भी मान सकते हैं.
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अगर आपको 2 दिन से ज़्यादा हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है, तो ऐसी स्थिति में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
1. Harville EW, Wilcox AJ, Baird DD, Weinberg CR. (2003). Vaginal bleeding in very early pregnancy.
2. Mikolajczyk RT, Louis GM, Cooney MA, Lynch CD, Sundaram R. (2010). Characteristics of prospectively measured vaginal bleeding among women trying to conceive.
3. Kim SM, Kim JS. (2017). A Review of Mechanisms of Implantation.
4. Su RW, Fazleabas AT. (2015). Implantation and Establishment of Pregnancy in Human and Nonhuman Primates.
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Written by
Ravish Goyal
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